सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश- पॉक्सो एक्ट के तहत पीड़िता को बार-बार अदालत नहीं बुलाएं

पॉक्सो एक्ट के तहत पीड़िता को बार-बार अदालत नहीं बुलाएं

प्रेषित समय :21:39:23 PM / Thu, Aug 29th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

* अभिमनोज
सर्वोच्च अदालत का कहना है कि- पॉक्सो एक्ट के तहत सेक्सुअल ऑफेंस की पीड़िता को बयान के लिए बार-बार अदालत में नहीं बुलाया जाना चाहिए.
खबर है कि.... 30 अगस्त 2020 को नाबालिग पीड़िता का अपहरण किया गया, उससे जबरन संबंध बनाए, जिसे 18 नवंबर 2020 को बचाया गया, इसके बाद उसका मैजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुआ और मेडिकल कराया गया.
सर्वोच्च अदालत का मानना है कि- जो नाबालिग सेक्सुअल ऑफेंस जैसी घटना के दर्द से गुजरी है उसे बार-बार उसी घटना के बारे में बयान के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें आरोपित ने पॉक्सो एक्ट की पीड़िता को जिरह के लिए अदालत में बुलाए जाने की गुहार लगाई थी.
खबरों की माने तो.... सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धुलिया की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि- बचाव पक्ष को पीड़िता से जिरह के लिए पर्याप्त अवसर दिया जा चुका है और काफी लंबी जिरह भी की जा चुकी है. 
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- पॉक्सो एक्ट की धारा-33 (5) के अनुसार स्पेशल कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि नाबालिग पीड़िता को अदालत में बार-बार ना बुलाया जाए.
यह एक बेहतर निर्देश है जो यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पीड़िता अपने साथ हुए हादसे को याद करके उसी दर्द को बार-बार महसूस नहीं करे!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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