सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर बड़ी टिप्पणी की, इस संपादक को दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर बड़ी टिप्पणी की, संपादक को दी जमानत

प्रेषित समय :19:22:04 PM / Mon, Aug 26th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक पत्रकार को अग्रिम जमानत देते हुए एससी-एसटी धारा पर बड़ी बात कही है. अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ किए गए अपमान और धमकाने वाली टिप्पणियां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा.

केरल के दलित विधायक पीवी श्रीजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में लिखा कि, अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्य का अपमान करना एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी-एसटी, एक्ट) के तहत तब तक अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक आरोपी का इरादा जातिगत पहचान के आधार पर उसको अपमानित करने का न हो.

पीठ ने कहा कि, एससी-एसटी के सदस्य का जातिसूचक शब्द बोलकर या जताकर अपमान करना, धमकी देना या प्रताडि़त करना 1989 अधिनियम के तहत अपराध होता है, जबकि इसी अधिनियम में ये अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक कि ऐसा अपमान या धमकी उस आधार पर न हो कि पीडि़त एससी-एसटी से संबंधित है.

इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने मलयालम के एक ऑनलाइन न्यूज चैनल के संपादक शाजन स्कारिया को अग्रिम जमानत दे दी. स्कारिया पर 1989 एक्ट की धारा 3(1)(आर) और 3(1)(यू) के तहत सीपीएम विधायक पीवी श्रीनिजन ने मामला दर्ज कराया था.

संपादक पर विधायक ने आरोप लगाया था कि उन्होंने दलित समुदाय से आने वाले कुन्नाथुनाडु के सीपीएम विधायक श्रीनिजन को माफिया डॉन कहा था. इस मामले में पत्रकार को ट्रायल कोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत से बचने के लिए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था.

आरोपी पत्रकार शाजन के वकील सिद्धार्थ लूथरा और गौरव अग्रवाल की दलीलें मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के किसी भी व्यक्ति पर जानबूझकर की गई टिप्पणी या उसे दी गई धमकी जाति आधारित अपमान नहीं माना जाएगा.

दरअसल, संपादक ने सीपीएम विधायक को लेकर एक खबर बनाकर यूट्यूब पर अपलोड की थी. इसमें विधायक को माफिया डॉन कहकर संबोधित किया गया था. अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि माफिया डॉन कहना पत्रकार पर एससी-एसटी एक्ट के दायरे में नहीं आता. हां अगर श्रीनिजन चाहें तो संपादक पर मानहानि का मुकदमा कर सकते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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