बच्चों की परवरिश एक जिम्मेदारी वाला कार्य है, जिसमें समझदारी और संवेदनशीलता और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. बच्चों की परवरिश में माता-पिता का रुख और व्यवहार उनके मानसिक और भावनात्मक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है. कई चाइल्ड एक्सपर्ट ये सुझाव देते हैं कि बच्चा अगर गलती करे तो उसे सबके सामने डांटना नहीं चाहिए. लेकिन इसके पीछे क्या कारण है, चलिए ये जानने की मदद करते हैं.
बच्चों को दूसरे लोगों के सामने डांटने के नुकसान
- जब माता-पिता अपने बच्चों को बाहरी लोगों के सामने डांटते हैं, तो इससे बच्चे का आत्म-सम्मान कम होने लगता है. सार्वजनिक तौर पर डांटे जाने पर बच्चा बेशर्म होने लगता है.
- बाहरी लोगों के सामने डांटना बच्चे के व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. बच्चे सार्वजनिक स्थानों पर डांटे जाने के बाद गुस्से, डिप्रेशन या निराशा का सामना कर सकते हैं.
- बाहरी लोगों के सामने डांटने से अनुशासन का प्रभाव कम होने लगता है. इससे बच्चा बड़ा होने पर अपने से बड़ों की इज्जत नहीं करता है.
- बच्चों को सार्वजनिक स्थानों पर डांटने से उनमें अविश्वास और असुरक्षा की भावना आ सकता है. इससे उनके सामाजिक कौशल और संबंध बिगड़ सकते हैं.
- बाहरी लोगों के सामने डांटना परिवार के भीतर तनाव उत्पन्न कर सकता है. यह न केवल बच्चे को प्रभावित करता है, बल्कि अन्य परिवार के सदस्य भी इस स्थिति को असहज महसूस कर सकते हैं.
क्या है सही तरीका- बच्चे को गलती करने पर बहुत ही प्यार से समझाना चाहिए. यदि आप डांट भी रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि वहां कोई भी बाहर का व्यक्ति न हो. पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों की गलतियों को सार्वजनिक स्थानों पर सुधारने के बजाय घर पर, शांत और सकारात्मक तरीके से संभालें. इससे बच्चों की भावनात्मक, आत्म-सम्मान और स्वस्थ मानसिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली: मदरसे में तीन छात्रों ने मिलकर 5 साल के एक बच्चे की पीट-पीटकर कर दी हत्या
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