अभिमनोज
दिल्ली हाईकोर्ट में एक मामले में शिकायतकर्ता और आरोपित, दोनों ने केस वापस लेने का अनुरोध किया, जिस के लिए शिकायतकर्ता महिला ने यह दलील दी कि- वह सुनवाई के लिए काम छोड़कर बार-बार कोर्ट नहीं आ सकती है.
खबर है कि.... अदालत ने उसकी दलील को स्वीकार करते हुए केस वापस लेने की इजाजत दे दी.
खबरों की माने तो.... दिल्ली हाईकोर्ट में एक महिला ने आपराधिक मामला दायर किया था, लेकिन मुकदमे के चलते बार-बार कोर्ट आने के तनाव और थकावट की वजह से महिला ने केस वापस ले लिया.
इस खास मामले को लेकर अदालत का कहना है कि- जब आप मामले को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट नहीं आ सकते, तो इसे ‘मुकदमेबाजी की थकान’ कहते हैं.
उल्लेखनीय है कि.... दिल्ली हाईकोर्ट ने इस महिला द्वारा दायर किए गए एक आपराधिक मामले को वापस लेने की अनुमति दे दी, क्योंकि- शिकायतकर्ता का कहना था कि- वह अदालत की सुनवाई में भाग लेने के लिए काम छोड़कर बार-बार आते-आते थक गई है.
याद रहे.... विभिन्न अदालत में लगातार बढ़ते मामलों के दबाव के कारण कई मामले बहुत लंबे समय तक चलते रहते हैं, जिसके कारण 'मुकदमेबाजी की थकान' की समस्या भी बढ़ रही है, हालांकि.... कई अदालतों में नई तकनीक अपनाने के कारण काफी हद तक राहत मिल रही है, उम्मीद है- बहुत जल्दी मुकदमेबाजी में थकान जैसे मामलों से भी राहत मिल पाएगी!
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