नई दिल्ली. तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डुओं में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने विशेष जांच दल द्वारा चल रही जांच को अस्थायी रूप से रोक दिया है. यह निलंबन तब तक जारी रहेगा जब तक कि सुप्रीम कोर्ट 3 अक्टूबर को इस मामले पर आगे विचार-विमर्श नहीं करता.
आरोप यह है कि जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान इन पवित्र प्रसादों के उत्पादन में जानवरों की चर्बी से मिले घी का इस्तेमाल किया गया था. यह मामला धार्मिक आस्थाओं के बीच गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. आंध्र प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारका तिरुमाला राव ने कहा कि जांच को रोकना एहतियाती उपाय था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के मद्देनजर हमने फिलहाल जांच को रोकने का फैसला लिया है. हमारी टीम ने कई निरीक्षण किए हैं. लोगों के बयान दर्ज किए हैं और प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है. यह निर्णय हाल ही में तिरुमाला में एक आटा मिल में एसआईटी द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद आया. जहां लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले घी का संग्रह किया जाता है. ये लड्डू तिरुमाला मंदिर आने वाले लाखों भक्तों को प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं और उनकी शुद्धता के प्रति आस्था बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
एसआईटी द्वारा अब तक की गई जांच में शामिल लोगों के बयान और अन्य सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जाना था. इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार आरोपों की गंभीरता को समझते हुए इसे पूरी निष्पक्षता से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है. आने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को लेकर न केवल श्रद्धालु बल्कि कानूनी विशेषज्ञ भी इस मामले पर गहरी नजर रखे हुए हैं. तिरुपति लड्डुओं के संदर्भ में ये आरोप न केवल धार्मिक महत्व के हैं. बल्कि इस प्रसाद की शुद्धता और पवित्रता पर भी सवाल उठाते हैं जो इसे और अधिक संवेदनशील बना देता है. आपको बता दें कि तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी के कथित इस्तेमाल की जांच को अस्थायी रूप से रोकने का आंध्र प्रदेश सरकार का कदम एक सतर्क और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण का प्रतीक है. सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई के परिणाम का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. जो इस प्रतिष्ठित धार्मिक परंपरा पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-