बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में अहम फैसला दिया है. जस्टिस संजय के अग्रवाल ने कहा कि, भले ही याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी (मृतक) का नाजायज बेटा हो, फिर भी वह अनुकंपा के लिए हकदार होगा. कोर्ट ने एसईसीएल को 45 दिनों के भीतर अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी करने कहा है.
दरअसल, सुभाष ब्लॉक निवासी मुनीराम कुर्रे एसईसीएल में आर्म गार्ड के पद पर कार्यरत थे. 25 मार्च 2004 को उनकी मौत हो गई थी. मुनीराम कुर्रे की मौत के बाद ग्रेच्युटी नामांकन फॉर्म एफ में पहली पत्नी सुशीला कुर्रे का नाम दर्ज था. पेंशन नामांकन फार्म में दूसरी पत्नी विमला कुर्रे का नाम था.
बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति देने की थी मांग
विमला कुर्रे की चार बेटियां मनीषा लाल, मंजूसा लाल, ममिता लाल, मिलिंद लाल और बेटा विक्रांत भी था. इसी आधार पर विक्रांत कुर्रे ने एसईसीएल में अपने पिता की जगह अनुकंपा देने की मांग की, लेकिन एसईसीएल ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया. जिसे चुनौती देते हुए विक्रांत कुमार लाल ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से याचिका दायर की. इसमें बताया कि, याचिकाकर्ता की मां विमला कुर्रे ने भी बेटे के लिए आश्रित रोजगार की मांग की थी. लेकिन, एसईसीएल प्रबंधन ने उनके अभ्यावेदन का निराकरण करते हुए खारिज कर दिया था.
सौतेली मां की आपत्ति पर आवेदन किया खारिज
याचिकाकर्ता ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 372 के तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए आवेदन पेश किया था. मामले में प्रथम सिविल जज ने भविष्य निधि 4, 4 लाख 75 रुपए और ग्रेच्युटी राशि 95 हजार रुपए याचिकाकर्ता, उसकी मां और बहनों के पक्ष में देने का आदेश दिया था.
कोर्ट के आदेश के बाद सुशीला कुर्रे ने अधिनियम, 1925 की धारा 383 के तहत उत्तराधिकार प्रमाणपत्र को रद्द करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया. जिस पर दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता हो गया और सुशीला ने आवेदन वापस ले लिया. इस समझौते के बाद कोर्ट ने आदेश जारी कर मां विमला कुर्रे, उसके बेटे विक्रांत और बहनों को मुनिराम कुर्रे (मृतक) का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.
आदेश में कहा गया है कि विमला कुर्रे, मुनिराम कुर्रे की पत्नी है और सेवानिवृत्ति लाभों के उद्देश्य से याचिकाकर्ता मुनिराम कुर्रे का बेटा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उपलब्ध दस्तावेजों से यह तय हो गया है कि याचिकाकर्ता विक्रांत, मुनिराम कुर्रे का विमला कुर्रे के साथ विवाह के बाद जन्मा बेटा है.
हाईकोर्ट ने कहा- अनुकंपा नियुक्ति पर 45 दिनों में प्रक्रिया पूरी करे एसईसीएल
याचिकाकर्ता के वकील संदीप दुबे ने सिविल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उसे मृतक का उत्तराधिकारी बेटा बताया. साथ ही नियमानुसार उसे अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया. वहीं, एसईसीएल ने उसे नाजायज संतान बताकर अनुकंपा के लिए अयोग्य बताया. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति का हकदार माना है. साथ ही एसईसीएल प्रबंधन को अनुकंपा नियुक्ति देने 45 दिनों में प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-