पटना। बिहार में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बुधवार को अपनी पार्टी लॉच कर दी. चुनावों से पहले रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गरम रहा. विपक्ष भी इस पार्टी को लेकर कई तथ्य सामने रख चुका है. लेकिन औपचारिक तौर पर प्रशांत किशोर ने अपनी जन सुराज पार्टी की शुरुआत कर विपक्ष को चुनौती दे दी है. अगले विधानसभा चुनाव में बिहार की सभी सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ सकते है, फिरहाल इसे लेकर अभी किसी प्रकार की कोई जानकारी साझा नहीं की गई है. भारतीय विदेश सेवा से रिटायर्ड अधिकारी मनोज भारती पार्टी का नेतृत्व करेंगे. प्रशांत किशोर पूर्व में भी यह बात कह चुके थे कि अगर उनकी पार्टी बनती है, तो राज्य में शराबबंदी खत्म करे देगी और इससे होने वाली कमाई का प्रयोग शिक्षा में सुधार करने के लिए करेगी.
प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी पार्टी मतदान के प्रति लोगों का नजरिया बदलने का काम करेगी. इसे जाति व चुनावी प्रलोभन से ना देखकर भविष्य के लिए देखा जाए. ऐसे में सवाल यह भी उठा की पार्टी तो बन गई लेकिन इसका नेतृत्व कौन करेगा. तो प्रशांत किशोर का मानना है कि यह वही लोग तय करें जिन्होंने बीते 2 वर्षों से इस समूह के लिए काम करा. बीते 2 साल से ज्यादा समय से प्रशांत किशोर बिहार में यात्रा कर लोगों को इसे लेकर जागरुक कर चूके कि उनका मुख्य उपद्देश्य आखिर क्या है? पिछले दो वर्षों से भी अधिक समय से श्री किशोर पूरे राज्य में यात्रा कर रहे हैं तथा लोगों में इस बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं कि उनका चुनावी एजेंडा क्या होना चाहिए.
प्रशांत किशोर ने इसी साल घोषणा की थी कि वह राजनीतिक पार्टी के तौर पर औपचारिक रूप से अपनी पार्टी लॉन्च करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि जन सुराज लोगों को एक नया विकल्प प्रदान करेगा। बिहार में 25 से 30 सालों से लोग आरजेडी या बीजेपी को वोट देते आए हैं. लेकिन इसे खत्म करना होगा. लोगों के पास वैकल्पिक उम्मीदवार होना चाहिए जो किसी वंशवादी पार्टी से नहीं, बल्कि ऐसे लोगों से होना चाहिए जो पार्टी बनाना चाहें."
प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार की सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में संक्षिप्त कार्यकाल के बाद जन सुराज पहल की शुरू की थी लेकिन कांग्रेस को शामिल कर करने का प्रयास विफल हो गया था। 2022 में व्यापक चर्चा के बाद पार्टी के "सशक्त कार्रवाई समूह" में एक स्थान की पेशकश की गई थी, किशोर ने कांग्रेस में "गहरी जड़ें जमाए हुए संरचनात्मक समस्याओं को ठीक करने के लिए सामूहिक इच्छाशक्ति की कमी" के बारे में तीखी टिप्पणी करते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था.
प्रशांत ने एक यात्रा के साथ जन सेना की शुरुआत की. इससे राजनीतिक दल के तौर पर इनका महज आधा पड़ाव ही पार किया था. इस यात्रा में गांव गांव में घरों तक पहुंचे. उन्होंने घरों में रहने वाले लोगों व उनके बच्चों के जीवन को सुधारने व शिक्षित करने की बात कही. लोगों को गुमराह नेताओं के दबाव में आकर मतदान न करने के लिए प्रोत्साहित किया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-