पलपल संवाददाता, सिंग्रामपुर. एमपी के दमोह जिला स्थित सिंग्रामपुर में 5 अक्टूबर को एमपी कैबिनेट की बैठक होगी. इसके लिए 3 हेलिपैड बनाए जा रहे हैं. पहला हेलिपैड सिंग्रामपुर, दूसरा 9 किमी दूर भैंसाघाट व तीसरा जबेरा में तैयार हो रहा है. बैठक में रानी दुर्गावती के किले में पर्यटन बढ़ाने के संबंध में भी फैसला लिया जाएगा.
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपनी कैबिनेट के साथियों के साथ यहां उतरेंगे. बैठक का उद्देश्य सिंग्रामपुर पंचायत से सटे जंगल और रानी दुर्गावती के किले के पर्यटन महत्व में बढ़ावा देना है.बैठक के चलते यहां के जंगली रास्ते को दुरुस्त करने का काम वन विभाग ने शुरू कर दिया है. पिछले एक सप्ताह से पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की टीम यहां लगातार आवाजाही कर रही है. अलग.अलग स्थानों पर बैरिकेडिंग की भी प्लानिंग की गई है. सिंग्रामपुर की इस कैबिनेट बैठक में नए मुख्य सचिव अनुराग जैन पहली बार कैबिनेट सचिव के रूप में मौजूद रहेंगे. हालांकि मुख्यमंत्री सचिवालय ने अभी तक बैठक के लिए अधिकृत तौर पर दमोह जिला प्रशासन को सूचना नहीं दी है. लेकिन 24 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में लिए फैसले के आधार पर सागर संभागायुक्त, आईजी व दमोह कलेक्टर-एसपी यहां व्यवस्था बनाने में जुट गए हैं. सागर संभाग कमिश्नर डॉ वीरेंद्र कुमार रावत व आईजी प्रमोद कुमार वर्मा ने संयुक्त रूप से सिंग्रामपुर में कैबिनेट बैठक स्थल, वीरांगना रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल, लाड़ली बहना एवं स्व सहायता समूह कार्यक्रम स्थल के साथ वीरांगना रानी दुर्गावती का किला, तालाब, वीरांगना रानी दुर्गावती के देवी पूजन स्थल के अलावा निदान कुंड स्थल का जायजा लिया है. गौरतलब है कि दमोह से 60 किमी दूर सिंग्रामपुर ग्राम पंचायत है. वहां से 4 किमी दूर पहाड़ी पर रानी दुर्गावती का महल है. उनका पूजा स्थल अभी भी है. यहां जंगल के रास्ते ही पहुंचा जा सकता है. यहीं पर निदान वाटरफॉल है.
दुर्गा अष्टमी के दिन है रानी की 500 वीं जयंती-
गौरतलब है कि रानी दुर्गावती का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कालिंजर किले में सन 1524 में दुर्गाष्टमी के दिन हुआ था. कालिंजर के राजा कीर्ति सिंह चंदेल की इकलौती संतान का नाम दुर्गावती रखा गया था. दमोह जिले के सिंग्रामपुर के सिंगौरगढ़ में रानी दुर्गावती का किला आज भी है. यह किला रानी की वीरता की कहानियां बताता है. जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के आंजनी गांव में रानी की 7वीं पीढ़ी रहती है. इसी साल दुर्गा अष्टमी को उनकी 500वीं जयंती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-