पलपल संवाददाता, जबलपुर/दिल्ली. जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह को दिल्ली में आयोजित सीएनएन न्यूज 18 नेटवर्क के ग्रीन रिबन चैंपियनशिप 2024 कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री श्री सिंह ने कहा कि जल संरक्षण का कार्य सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, निजी जिम्मेदारी है.
लोक निर्माण मंत्री राकेशसिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा कि जल संरक्षण या पर्यावरण संरक्षण का कार्य सामाजिक जिम्मेदारी है तो एक तरह से हम खुद उस जि़म्मेदारी से दूर हो जाते है और जब तक हम यह नहीं मानेंगे कि यह निजी जिम्मेदारी है तब तक हम इन प्राकृतिक विरासतों को नही बचा सकते है क्योंकि जब इसे सामाजिक जिम्मेदारी मानते है तब हम यह भी मान लेते है कि इसमें हमारी जिम्मेदारी बहुत छोटी है तो हम उस जि़म्मेदारी से दूर होते जाते है. उन्होने सागर जिले में स्थित अपने मौसी के गांव के पनिया कुंआ का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह से 60-70 वर्षो तक पूरे गांव को पानी देने वाला कुंआ जब सुख गया और इससे गांव के लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ा तब उन्हे दुख और चिंता हुई और निर्णय लिया की हमारी प्राकृतिक जल विरासतों को बचाने के लिए कार्य किया जाए. अपने संसदीय क्षेत्र में भीषण गर्मी के दिनों में 480 किमी की 20 दिनों की जल रक्षा यात्रा निकाली. उद्देश्य केवल एक था कि लोग जल के महत्व को समझें. जल रक्षा यात्रा के माध्यम से जल के प्राकृतिक स्रोतों को सहजने और संरक्षित करने के लिए लोगो से अपील की. उन्होंने कहा मुझे खुशी है कि संसदीय कार्यकाल के 20 वर्ष मेरे दिल्ली में निकले है. इस दौरान प्रधानमंत्री से बहुत बार इन विषयों पर बातचीत हुई. एक प्रधानमंत्री या मेरी पार्टी के नेता के रूप में नही बल्कि पानी का संरक्षण कैसे करना चाहिए इसकी जानकारी जितनी उनके पास है मुझे लगता है किसी विशेषज्ञ के पास भी नहीं होगी. मैने जल संरक्षण के लिए कार्य की जानकारी दी और जबलपुर के पास बरेला में गौर नदी पर श्रमदान से एक बांध बनाने जानकारी देते हुए बताया की गैवेडियन पद्धति से यह बांध बनाया है. तब उन्होंने मुझे कहा कि यदि इस पर से एक बार पानी निकल गया है तो अब यह कभी टूटेगा नही और प्रसन्नता की बात है कि आज इस बांध की वजह से आसपास के गांव के लोगो को सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध है. उन्होंने बताया ऐतिहासिक बावडिय़ों को सवारकर संरक्षित करने कार्य मैंने प्रारंभ किया. प्रधानमंत्री जी को इसकी जानकारी दी तब माननीय प्रधानमंत्री जी ने जल संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता, गहरे अध्ययन व अनुभवों के आधार पर बावडिय़ों के पुनरुद्धार का कार्य पूर्ण होने पर इनका नाम जल मंदिर रखने कहा. मैंने कार्यकर्ताओ को साथ लेकर दो बावडिय़ों पर कार्य किया. रानी दुर्गावती के कालखंड की बावडिया जो खंडहर का रूप ले चुकी थी अब जल मंदिर के रूप में अत्यंत सुंदर स्थल के रूप के विकसित हो गई है. उसका जल न सिर्फ पीने लायक हो गया है बल्कि आज उन्हे देखने लोग जाते है और प्री वेडिंग शूट भी करते है. उन्होंने कहा प्रयास ऐसे छोटे छोटे है लेकिन मैं हमेशा कहता हूं हमे यह नही मानना चाहिए कि हमारे प्रयास बहुत छोटे है क्योंकि छोटे छोटे प्रयासों से ही बड़े कार्य संभव होते है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-