नई दिल्ली. दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव पर दिल्ली के उपराज्यपाल से पूछा है कि इतनी जल्दी क्या थी? लोकतंत्र का क्या होगा? नगर निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस दिया है.
दरअसल, एमसीडी स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी वीके सक्सेना के फैसले पर कड़ी टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने जल्दबाजी में लिए गए फैसले पर सवाल उठाते हुए एक चेतावनी भी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने एलजी से कहा है कि अगर वह इस तरह एमसीडी ऐक्ट के तहत कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे तो इससे लोकतंत्र खतरे में पड़े जाएगा. इसी के साथ शीर्ष अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव आयोजित कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे.
बता दें मेयर और आम आदमी पार्टी की नेता शैली ओबेरॉय ने एलजी वीके सक्सेना के आदेश पर कराए गए एमसीडी की स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एलजी ऑफिस से जवाब मांगा है. 27 सितंबर को हुए इस चुनाव में बीजेपी ने निर्विरोध जीत हासिल की थी क्योंकि आप और कांग्रेस के पार्षदों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. इससे पहले शैली ओबेरॉय ने चुनाव के लिए 5 अक्टूबर की तारीख तय की थी लेकिन इसके बावजूद एलजी वीके सक्सेना के आदेश पर चुनाव 27 सितंबर दोपहर एक बजे ही करा दिए गए.
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने एलजी कार्यालय से कहा कि वह 27 सितंबर को होने वाले स्थायी समिति चुनावों के खिलाफ मेयर शेली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न कराएं. अगर ऐसा होता है तो कोर्ट इसे गंभीरता से लेगी. कोर्ट ने कहा कि शुरुआत वह इस याचिका पर विचार करना नहीं चाहती थी लेकिन के इच्छुक नहीं थे, लेकिन दिल्ली नगरपालिका अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के फैसले के कारण उन्हें नोटिस जारी करना पड़ा.