जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव और मकान(घर) योग

जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव और मकान(घर) योग

प्रेषित समय :19:23:02 PM / Sat, Oct 5th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसका भी अपना एक अच्छा सा मकान हो जिसमे वह सुख पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सके.
*भूमि व मकान सुख के लिए कुंडली का चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और मकान सुख के कारक मंगल से विचार किया जाता है.
*मकान सुख के लिए चतुर्थ भाव, चतुर्थेश व कारक मंगल का बलवान और शुभ स्थिति में होना अनिवार्य होता है.जब बलवान चतुर्थभाव का या बलवान चतुर्थेश का बलवान मंगल से संबंध होता है तब स्वयं के मकान का सुख प्राप्त होता है.
*चतुर्थेश जब बलवान और शुभ बली ग्रहो से युक्त या द्रष्ट होकर केंद्र-त्रिकोण में बैठा हो तब उत्तम मकान का सुख प्राप्त होता है.
*चतुर्थ भाव पर भी बली शुभ ग्रहो का युति या दृष्टि प्रभाव व चतुर्थेश और मंगल का बलवान होना उत्तम और बड़े मकान का सुख प्राप्त कराता है.
*चतुर्थेश का शुभ ग्रहो के द्वारा सम्बन्ध द्वितीय भाव(परिवार भाव) से होने पर जातक को पैतृक मकान का सुख मिलता है.
*यदि चतुर्थेश का शुभ या शुभ ग्रहो के द्वारा एकादशेश या द्वितीयेश से सम्बन्ध हो साथ ही नवमेश का भी इसमें सहयोग हो तब जातक को अपने मकान से आय और धन के साधन प्राप्त होते है.
*द्वितीयेश धन का स्वामी है तो एकदादेश लाभ प्राप्ति का तो नवमेश भाग्य है जिसके परिणाम स्वरुप यह योग मकान से धन लाभ के योग बनाता है.कई व्यक्ति मकान बनाकर उसमें किराएदार भी रख लेते है जिसके माध्यम से मकान स्वामी को अपने दिए गए किराये के मकान से आय की प्राप्ति होती है. अपना स्वयं का मकान बनाने के बाद भी कई व्यक्ति उसका सुख नही भोग पाते इसके लिए भी उन व्यक्तियो की बन रहे मकान संबंधी योग और चतुर्थ भाव और चतुर्थेश जिम्मेदार होते है.
*जब चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहो की स्थित स्थिति, युति या दृष्टि के द्वारा प्रभाव हो और चतुर्थेश 6, 8 या 12 भाव में बैठा हो तब ऐसे व्यक्ति मकान बनाने के बाद भी उसका सुख नही भोग पाते किसी न किसी कारण वश जैसे शहर से दूर नोकरी होने पर कई व्यक्ति अधिकतर घर से दूर ही रहते है और वही किराए पर मकान लेकर रहने लगते है और स्वयं का मकान किराए पर दे देते है या उस जातक के परिवार के सदस्य उस मकान का सुख भोगते है.
*ऐसा इस कारण उस जातक के साथ होता है ऐसे जातक की रोजगार और आर्थिक स्थिति प्रबल होती है अच्छे रोजगार और अच्छी आर्थिक स्थिति के कारण मकान तो ऐसा व्यक्ति बना लेता है पर स्वयं उसका सुख नही भोग पाता.
*चतुर्थेश या चतुर्थ भाव का सम्बन्ध छठे भाव से होने पर या चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहो का प्रभाव होने से किराए के मकान के योग बनते है.

ज्योतिष, वास्तु,कर्मकांड अनुसंधान केन्द्र आचार्य मण्डन मिश्र.

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