सुप्रीम कोर्ट से मांग- मुफ्त की योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करें, इस पर रोक लगे!

सुप्रीम कोर्ट से मांग- मुफ्त की योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करें

प्रेषित समय :20:48:39 PM / Wed, Oct 16th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
राजनीतिक दलों की ओर से किसी चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों के खिलाफ नई-पुरानी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.
खबरों की मानें तो.... फ्रीबीज- मुफ्त योजनाओं के वादे, मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुआई में तीन सदस्यीय बेंच ने वर्ष 2022 में शुरू की थी, जिसमें जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी थे, तो इसके बाद में पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई की और अब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मामले की सुनवाई कर रहे हैं.
खबर है कि.... कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग की गई है, साथ ही यह भी मांग भी की गई है कि- चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर तत्काल रोक लगाए.
इस मुद्दे पर यह भी कहना है कि- मुफ्त योजनाएं और कैश देने के वादे, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत देकर वोट देने के लिए प्रेरित करने की भ्रष्ट प्रथा है.
याचिकाओं में कहा गया है कि- सियासी दल ऐसी मुफ्त की योजनाओं को कैसे पूरा करेंगे, यह नहीं बताते, जिससे सरकारी खजाने पर बेहिसाब बोझ पड़ता है, यह मतदाताओं और संविधान के साथ धोखाधड़ी है, लिहाजा.... इस पर रोक के लिए तत्काल और असरदार कार्रवाई होनी चाहिए.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त 2024 को चुनाव आयोग का कहना था कि- मुफ्त की योजनाओं पर पॉलिटिकल पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.
चुनावों से पहले मुफ्त का वादा करना और चुनाव के बाद उसे देना पॉलिटिकल पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है, इस संबंध में नियम बनाए बगैर कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करने जैसा होगा, इसलिए.... अदालत ही तय करे कि- फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं? इसके बाद ही चुनाव आयोग इसे लागू करेगा!
इस मामले में जल्दी फैसला होना चाहिए, ताकि लगातार हो रहे चुनाव स्वच्छ लोकतंत्र पर सवालिया निशान नहीं बनें!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-