नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को बड़ी राहत देते हुए, फाउंडेशन के खिलाफ लगाए गए ब्रेनवॉश और बंदी बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया. एक पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों को जबरन ईशा फाउंडेशन के आश्रम में रखा गया है.
एक पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ब्रेनवॉश करके ईशा फाउंडेशन के आश्रम में शामिल कर लिया गया है और उन्हें परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने दावा किया था कि उनकी बेटियों को आश्रम में बंदी बनाकर रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पाया कि दोनों बेटियां बालिग हैं और अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं. अदालत ने कहा कि दोनों बेटियों ने अदालत में पेश होकर यह बात स्वीकार की है.
अदालत ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में अनुचित तरीके से हस्तक्षेप किया था और पुलिस को आश्रम की जांच करने का आदेश देना गलत था. अदालत ने कहा कि इस तरह के मामले लोगों और संस्थाओं को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल नहीं किए जा सकते. अदालत ने पिता से कहा कि वे अपनी बेटियों के जीवन पर नियंत्रण नहीं रख सकते और उन्हें सलाह दी कि वे उनके विश्वास को जीतें.
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