अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 में कहा था कि- वेब पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों पर फेक न्यूज पर कोई भी नियंत्रण नहीं और अगर ऐसे ही चलता रहा तो देश का नाम बदनाम होगा, आश्चर्यजनक बात यह है कि आज भी हालात वैसे ही हैं.
खबरें थी कि.... एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ का कहना था कि वेब पोर्टल पर फेक न्यूज को लेकर किसी का नियंत्रण नहीं है.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि मीडिया का एक वर्ग देश को बदनाम करने वाली खबरों को सांप्रदायिक रंग देता है, समस्या यह है कि इस देश में हर चीज मीडिया के एक वर्ग द्वारा सांप्रदायिकता के पहलू से दिखाई जाती है, इससे देश की छवि खराब हो रही है, क्या केंद्र ने निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है?
खबरों पर भरोसा करें तो.... इंटरनेट मीडिया पर फर्जी खबरों पर गंभीर चिंता जताते हुए अदालत का कहना था कि- ये केवल शक्तिशाली आवाजों को सुनते हैं, न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं. तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और एएस बोपन्ना की पीठ ने फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक विषयक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि- यह नहीं मालूम कि ये इंटरनेट मीडिया, ट्विटर और फेसबुक आम लोगों को कहां जवाब देती हैं, वे कभी जवाब नहीं देतीं, कोई जवाबदेही नहीं है, वे खराब लिखती हैं और जवाब नहीं देतीं तथा कहती हैं कि यह उनका अधिकार है, वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशी पर कोई नियंत्रण नहीं है, अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है.
बड़ा सवाल यह है कि- ऐसे हालात कैसे बदलेंगे?
सुप्रीम कोर्ट: बेलगाम इंटरनेट मीडिया, फेक न्यूज पर कोई भी नियंत्रण नहीं!
प्रेषित समय :22:10:20 PM / Wed, Oct 23rd, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर