चंडीगढ़. पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में 13 नवंबर को चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव न लडऩे का निर्णय लिया है. चंडीगढ़ में हुई पार्टी कार्यसमिति व जिला प्रमुखों की बैठक में यह फैसला लिया गया. 30 अगस्त को अकाल तख्त साहिब ने अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को तनखैया घोषित कर दिया. जिसके चलते सुखबीर सिंह बादल न तो उपचुनाव लड़ सकते हैं और न ही इसके लिए प्रचार कर सकते हैं. दिवाली के बाद श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से उन्हें सजा सुनाई जाएगी.
1992 के बाद यह पहला मौका है जब अकाली दल ने राज्य में होने वाले किसी भी चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. लुधियाना से कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद गिद्दड़बाहा सीट खाली हो गई. संगरूर लोकसभा क्षेत्र से आप के गुरमीत सिंह हेयर के जीतने के बाद बरनाला सीट खाली हो गई. उन्होंने 2017 व 2022 के विधानसभा चुनावों में बरनाला सीट जीती थी.
गुरदासपुर से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद कांग्रेस के सुखजिंदर सिंह रंधावा ने डेरा बाबा नानक सीट खाली कर दी. वहीं पंजाब में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव से पहले शिरोमणि अकाली दल को झटका देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल होशियारपुर में भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा उपचुनाव में ठंडल को छब्बेवाल विधानसभा सीट (सुरक्षित) से अपना उम्मीदवार बना सकती है. भाजपा के पंजाब प्रभारी व गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने ठंडल का पार्टी में स्वागत किया. ठंडल ने 2024 का लोकसभा चुनाव होशियारपुर सीट से अकाली दल के टिकट पर लड़ा था लेकिन हार गए थे.
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