नई दिल्ली. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज चाणक्य रक्षा संवाद 2024 को संबोधित किया. इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-चीन एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक व सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं. समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति हासिल की गई है. हासिल की गई सहमति में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चरागाह शामिल है. यह निरंतर बातचीत में संलग्न होने की शक्ति है क्योंकि देर.सवेर समाधान निकल ही आएगा.
इस सप्ताह की शुरुआत में भारत ने सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में एक बड़ी सफलता की घोषणा की है. जिसकी बाद में चीनी पक्ष ने पुष्टि की. हाल के समय में सबसे लंबे समय तक चले सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत व चीन ने इस सप्ताह जो ऐतिहासिक समझौता किया था. उसे प्रधानमंत्री मोदी व राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से अंतिम मंजूरी मिल गई. क्योंकि दोनों ने पांच साल के अंतराल के बाद कज़ान में द्विपक्षीय बैठक की. इस समझौते का समर्थन किया. भारतीय पक्ष के अनुसार इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति और आसान हो जाएगी. राजनाथ ने कहा कि पूरे इतिहास में चाहे पूंजीवाद से पहले का समाज हो या आधुनिक समय मानवता का प्राथमिक प्रयास अपने भौतिक कल्याण को बढ़ाना और मजबूत करना रहा है. यहां तक कि आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक एडम स्मिथ ने भी अर्थशास्त्र को धन के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया है. उन्होंने कहा कि आज के तकनीकी युग में कम्प्यूटर सूचना प्रौद्योगिकी, उपग्रह संचार और अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदल रही है. रक्षा मंत्री ने कहा कि इन नवाचारों ने अन्य जटिल आर्थिक ताकतों के साथ मिलकर एक अत्यधिक परस्पर संबद्ध व गतिशील आर्थिक परिदृश्य तैयार किया है. इन जटिलताओं के बावजूद यह स्पष्ट है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा को अक्सर सीमा सुरक्षा से जोड़कर देखा जाता है. जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में सीमा पर तैनात सैनिकों, आसमान में गश्त करने वाले विमानों और समुद्र की रखवाली करने वाले नौसेना के जहाजों की छवि आम तौर पर आती है. हालांकिए जैसा कि आप सभी जानते हैं सुरक्षा सीमा सुरक्षा से कहीं आगे तक फैली हुई है. भाजपा नेता ने कहा कि यह एक व्यापक और बहुमुखी अवधारणा है जिसमें कई अन्य कारक शामिल हैं. जिनमें आंतरिक स्थिरता, आर्थिक लचीलापन व महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा शामिल है. जो सभी एक राष्ट्र के समग्र सुरक्षा ढांचे के लिए आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि जब हम घरेलू स्तर पर हथियार व रक्षा उपकरण बनाते हैं. तो इससे न केवल हमारा सुरक्षा ढांचा मजबूत होता हैए बल्कि अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र भी मजबूत होते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-