एक अध्ययन से पता चलता है कि जिन लोगों के साथी को स्ट्रोक, हृदय रुकावट या दिल का दौरा पड़ता है, उनके साथी को डिमेंशिया विकसित होने का अधिक खतरा होता है.
क्योटो विश्वविद्यालय सहित शोधकर्ताओं की एक टीम ने जापान स्वास्थ्य बीमा संघ में रखे गए लगभग 90,000 व्यक्तियों के चिकित्सा रिकॉर्ड का अध्ययन किया.
2016 से 2021 के बीच 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के गृहस्वामी, जिनके साथी को तीनों हृदय रोगों में से किसी एक का सामना करना पड़ा, की तुलना उन गृहस्वामियों से की गई जिनके साथी को इनमें से कोई बीमारी नहीं थी. गृहस्वामी इसलिए चुने गए ताकि दोनों समूहों की आयु, लिंग और आय का स्तर समान हो.
इन गृहस्वामियों पर छह वर्षों तक नज़र रखी गई कि क्या उनमें डिमेंशिया विकसित हुआ.
कुल मिलाकर, 559 व्यक्तियों में डिमेंशिया की पहचान हुई.
जिन गृहस्वामियों के साथी को हृदय रोगों में से किसी का सामना करना पड़ा, उनमें डिमेंशिया विकसित होने की संभावना 1.32 गुना अधिक पाई गई, उनकी तुलना में जिनके साथी को ऐसी कोई बीमारी नहीं थी. यह प्रवृत्ति गृहस्वामी की आयु या किसी मौजूदा चिकित्सा स्थिति के बावजूद समान थी.
क्योंकि हृदय रोगों के लक्षण अक्सर तीव्र होते हैं और इनके कारण अक्सर बाद के प्रभाव होते हैं, इसलिए साथी को इस तरह की बीमारी होने से पति या पत्नी पर बड़ा मानसिक आघात हो सकता है. उस व्यक्ति को अपने साथी की देखभाल भी करनी पड़ सकती है और यदि साथी की मृत्यु हो जाती है, तो जीवनशैली में बदलाव बड़ा झटका हो सकता है, जिससे डिमेंशिया की संभावना बढ़ जाती है.
बोस्टन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के स्नातक छात्र तोशीआकि कोमुरा, जो अनुसंधान दल के सदस्य थे, ने कहा: “क्योंकि डिमेंशिया का इलाज करना कठिन है, रोकथाम और प्रारंभिक पहचान कैसे की जाती है, यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. उपयुक्त समय पर चिकित्सा और अन्य देखभाल प्रदान करने की आवश्यकता होगी.”
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-