इस सप्ताह अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड जे. ट्रम्प की वापसी के बाद, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय की "नेट जीरो इंडस्ट्रियल पॉलिसी लैब" की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि अमेरिका के क्लीन एनर्जी नीतियों से पीछे हटने के परिणामस्वरूप वैश्विक बाजारों में लगभग $80 बिलियन के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं. हालांकि, इससे अमेरिकी कंपनियों को लगभग $50 बिलियन के निर्यात राजस्व का नुकसान होने की आशंका है.
पिछले राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के तहत CHIPS Act, Bipartisan Infrastructure Law (BIL), और Inflation Reduction Act (IRA) के माध्यम से क्लीन एनर्जी में बड़े निवेश किए गए थे. इन नीतियों ने अमेरिका और वैश्विक क्लीन एनर्जी सप्लाई चेन को मजबूती दी थी. IRA के अंतर्गत अकेले अमेरिका में $200 बिलियन से अधिक का क्लीन एनर्जी निवेश हुआ था, जिसके चलते नई सरकारी संस्थाओं का निर्माण हुआ. इन नीतियों का लाभ दुनिया के वे देश उठा रहे हैं, जो क्लीन एनर्जी आपूर्ति श्रृंखला में पहले से सशक्त हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि अमेरिका IRA को रद्द कर देता है, तो इससे चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को लगभग $80 बिलियन तक का निवेश अवसर मिलेगा, जबकि अमेरिकी उद्योगों को लगभग $50 बिलियन का संभावित नुकसान होगा. जॉन्स हॉपकिन्स लैब के सह-निदेशक बेंटले एलन ने इस पर कहा, "जलवायु तकनीक में नेतृत्व से पीछे हटना अमेरिका को ही बड़ा नुकसान पहुंचाएगा. एनर्जी ट्रांज़िशन अब अनिवार्य हो चुका है और यूरोप, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया सहित अन्य देश इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. ट्रम्प का प्रशासन इस बदलाव में देरी ला सकता है, लेकिन इसे रोक नहीं सकता."
रिपोर्ट के सह-लेखक बेंटले एलन और टिम सहाय का मानना है कि यदि IRA के तहत दी जा रही प्रोत्साहन योजनाएं कम होती हैं, तो चीन, कोरिया, यूरोपीय संघ, जापान, भारत, कनाडा और मेक्सिको जैसे देश अमेरिकी सप्लाई चेन में बड़े अवसर हासिल कर सकते हैं. तीन संभावित परिदृश्यों के विश्लेषण में रिपोर्ट बताती है कि क्लीन एनर्जी में धीमे निवेश से चीन, ब्राजील, और भारत को वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर मिलेगा.
2035 तक क्लीन टेक्नॉलॉजी, जो वैश्विक GDP का 10% है, के अंतर्गत सौर, पवन टर्बाइन, इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरियां, इलेक्ट्रोलाइजर और हीट पंप जैसी तकनीकों की मांग $2 ट्रिलियन से अधिक हो सकती है. चीन पहले से ही क्लीन टेक्नोलॉजी निर्माण में अग्रणी है और उसने ग्लोबल साउथ की बढ़ती मांग को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. हालाँकि, ट्रम्प प्रशासन चीनी तकनीक पर टैरिफ बढ़ा सकता है, जिससे चीन का लाभ सीमित हो सकता है.
टिम सहाय ने टिप्पणी की, "यह ग्लोबल साउथ के लिए अवसर का समय है, जहाँ वे अमेरिका के क्लीन एनर्जी में घटते योगदान का लाभ उठा सकते हैं."
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-