MP: मेडिकल कालेज में ट्रांसफर पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, चीफ जस्टिस बोले जो टीचर ऑटोनोमस में पदस्थ है वे दूसरी जगह नहीं जा सकते

MP: मेडिकल कालेज में ट्रांसफर पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

प्रेषित समय :21:08:09 PM / Thu, Nov 14th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, इंदौर. एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रदेश के ऑटोनॉमस मेडिकल कॉलेज से सरकारी मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के रूप में ट्रांसफर पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले को प्रदेश में स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के लिए अहम बताया जा रहा है. हाईकोर्ट ने ऑटोनॉमस मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी के ट्रांसफर पर दायर की गई अपील को डिवाइड ऑफ मेरिट ;योग्यता का विभाजनद्ध करार देते हुए खारिज कर दिया.

इंदौर की ऑटोनॉमस फैकल्टी डॉ शिवनारायण लहरिया, डॉ रोहित मन्याल, डॉ अजय भट्ट व डॉ भारत सिंह व भोपाल से डॉण् सुबोध पांडेए डॉण् जूही अग्रवाल सहित कई डॉक्टर्स का ट्रांसफर करते हुए उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज नीमच व मंदसौर भेज दिया गया था. सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट इंदौर में चुनौती दी गई. कोर्ट की सिंगल बैंच ने ट्रांसफर ऑर्डर खारिज कर दिया. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने डबल बेंच में याचिका लगाई थी. डाक्टर शिवनारायाण लहरिया इंदौर मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड हैं.

उनका ट्रांसफर अन्य जगह हुआ जिस पर वे हाईकोर्ट गए. यहां से 26 जुलाई को आदेश हुआ और उनका ट्रांसफर ऑर्डर निरस्त किया गया. इसके बाद मध्यप्रदेश शासन अपील में गया. जब पहले ही इस मामले में एक नहीं और भी फैसले आ चुके हैं. यह स्पष्ट है कि मेडिकल कॉलेज में एक जगह से दूसरी जगह पर ट्रांसफर नहीं हो सकते हैं फिर यह क्यों अनावश्यक अपील की गई है. इस तरह से बेवजह शोषण किया जा रहा है और इसके चलते याचिकाएं लग रही हैं.

याचिकाकर्ता ने यह मांग भी की थी कि बार-बार ट्रांसफर ऑर्डर हो रहे हैं ऐसे में शासन पर हैवी कॉस्ट लगाई जाए.  इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हम कॉस्ट नहीं लगा रहे हैं लेकिन हम यह स्पष्ट   कर रहे हैं कि यदि फिर इस तरह के ऑर्डर पास हुए तो संबंधित अथॉरिटी को अवमानना झेलना होगी. वहीं फैकल्टी का कहना है कि मेडिकल कॉलेज ऑटोनोमस बॉडी है. उनकी नियुक्ति ऑटोनोमस बॉडी में हुई है. ऐसे में उनका ट्रांसफर अन्य जगह नहीं हो सकता है. जब शासन कहीं और कॉलेज खोलता है तो फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए वह फैकल्टी को यहां से वहां करता है जो नियम के विरुद्ध है.

मेडिकल कालेज में कोई भी सीट खाली नही रहना चाहिए-

सीपीएस डिप्लोमा पाठ्यक्रम की 92 सीट में से 32 सीट को 2022-23 में समाप्त कर दिया गया. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच ने आज इस संबंध में फैसला दिया. उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि भविष्य में यदि किसी भी मेडिकल कॉलेज में किसी भी पाठ्यक्रम में कोई भी सीट खाली रहती है तो यह अदालत की अवमानना होगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-