*तुलसी के पत्ते तोड़ने के कुछ नियम ये हैं*
भगवान को चढ़ाने के लिए तुलसीदल निषेध तिथि, वार को छोड़कर ही तोड़ना चाहिए. निर्णय सिन्धु धर्मशास्त्र के मतानुसार *मंगलवार, शुक्रवार, रविवार को, द्वादशी, अमावस्या एवं पूर्णिमा तिथि को, वैधृति और व्यतीपात योग में, संक्रान्ति, जननाशौच (जब जन्म हुआ हो)और मरणाशौच (जब मृत्यु हुई हो 13 दिन तक) में तुलसी दल तोड़ना मना है.* विष्णुधर्मोत्तर के अनुसार रात्रि और दोनों संध्याओं में भी तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए. लेकिन तुलसी दल के बिना भगवान की पूजा पूर्ण नहीं होती. अतएव निषिद्ध समय में तुलसी के पौधे से स्वयं गिरी हुई पत्तियों से भगवान का पूजन करना चाहिए, ऐसा वराह पुराण का मत है. तुलसी दल बासी नहीं होता अतः पहले दिन के पवित्र स्थान पर रखे हुए तुलसी दल से भी भगवान की पूजा की जा सकती है. शालग्राम की पूजा के लिए निषिद्ध तिथियों में भी तुलसी दल को तोड़ा जा सकता है. स्नान करके तुलसी दल तोड़ना चाहिये *"तुलसीदल तोड़ने का मन्त्र -तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया.केशवस्यार्थे वरदा भव शोभने..*
*_त्वदङ्गसम्भवैः पत्रैः पूजयामि यथा हरिम्. तथा कुरु पवित्राङ्गि! कलौ मलविनाशिनि ..*
‘‘गोविन्द के हृदय को प्रफुल्लित करने वाली माता तुलसी, मैं तुम्हें नारायण की पूजा के लिए तोड़ रहा हूं, तुम्हें नमस्कार है. आपके बिना हारश्रृंगार आदि फूलों और तरह-तरह के सुगन्धित पदार्थों की भेंटों से भी हरि की तृप्ति नहीं होती. हे कल्याणकारिणी! हे महान ऐश्वर्य वाली! तुम्हारे बिना तो सब कर्म निष्फल हैं. हे तुलसी माता! मेरे लिए कल्याणकारिणी बन जाओ. हे दिव्य गुणों वाली माँ! तोड़ने से आपके हृदय (जड़ों) पर जो आघात पहुंचे, आप उसके लिए मुझे क्षमा कर देना. जगन्माता तुलसी, आपको मेरा नमस्कार है. ऐसा कहकर तीन बार ताली बजना चाहिये उसके बाद तुलसी दल को तोड़ना चाहिये.
कब तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए, जानें नियम
प्रेषित समय :19:45:37 PM / Thu, Nov 21st, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर