26 नवंबर 2024 को मंगल का गोचर कर्क राशि में हो रहा है. मंगल ने 20 अक्टूबर 2024 को कर्क राशि में प्रवेश किया था और यह वहां लगभग 45-50 दिनों तक रहेगा. यह गोचर 8 दिसंबर 2024 तक जारी रहेगा मंगल का कर्क राशि में गोचर इसे नीच का बनाता है, जिसका सामान्यत: कमजोर प्रभाव माना जाता है. यह समय भावनात्मक उथल-पुथल, आंतरिक संघर्ष, और सावधानी बरतने का हो सकता है. विशेष रूप से कर्क, वृषभ, और धनु राशि वालों को इस अवधि में अधिक सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है.
मंगल लंबे समय अपनी नीच राशि में गोचर करेंगे , नीच मंगल अपने दुष्प्रभाव से जातक (जीव) की उत्साह शक्ति का अवश्य ही दुरुपयोग करवाता है, चाहे उत्साह शक्ति को कमजोर करके, या अतिउत्साहित बना करके, ज्योतिष में नीचता में मंगल को सबसे ज्यादा अंश प्राप्त होते हैं, यानी मंगल के दुष्प्रभाव से व्यक्ति नीचता की सारी हदें पार कर जाता है, यदि कोई सज्जन व्यक्ति भी हों तो उनसे भी किसी बहाने नीचता का कार्य करवा जाता है, इसलिए मंगल के नीच राशि के गोचर काल में स्वयं को नीची सोच रखने वाले व्यक्तियों से संभल कर रहने की आवश्यकता रहेगी, मंगल की नीच राशि से परिवर्तन 6 जून 2025 में निर्जला एकादशी व्रत पर जाकर होगा यानी कि जीवन के मजबूत नियमों का (व्रत) संकल्प लेने के दिन पर,परंतु स्मरण रहे कि नीच मंगल और मूल त्रिकोण राशि कुंभ के शनि से षडाष्टक योग के दुष्प्रभाव स्वरूप वैश्विक स्तर पर परस्पर देशों के टकराव के कारण आपसी बमबारी और छद्महमले और अधिक भयावह हो सकते हैं.
जन्मकुण्डली में मंगल यदि नीच (कर्क) राशि का हो अथवा शनि आदि शत्रु ग्रहों से युक्त या दृष्ट होकर 1, 2, 4, 5, 7, 8, 9 एवं 12वें भावों में कुंडली में स्थित हो तो अशुभ फल प्रदायक होता है. मंगल अपनी दशाअन्तर्दशा में या गोचरवश अशुभ फलकारक हो तो शुभ होने की स्थिति में मंगल पराक्रम, भ्रातृ-सुख, साहस, धैर्य, पुत्र सन्तति का सुख, भूमि-जायदाद का सुख, आरोग्य-सुख, शौर्य बल एवं नेतृत्व आदि गुणों को देता है, मेष व वृश्चिक राशियों में यह स्वराशि तथा तीसरे व छठे भावों का कारक माना जाता है. जबकि अशुभ होने पर जातक को क्रोध की अधिकता, भाई- बन्धुओं से टकराव, रक्त-विकार ऋण व शत्रु-भय, शस्त्राघात, वाहनादि से दुर्घटना का भय, गृहस्थ जीवन में कलह-क्लेश, उच्च रक्तचाप, अपव्यय, शत्रुओं से झगड़े आदि अशुभ फल मिलते हैं.
अभी क्या सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं?
हालांकि मंगल नीच स्थिति में माने जाते हैं, लेकिन उनके गोचर के दौरान कुछ सकारात्मक प्रभाव भी देखे जा सकते हैं, विशेषकर जब वे किसी शुभ ग्रह की दृष्टि में हों. कुछ संभावित
सकारात्मक प्रभाव:
संयम और धैर्य का विकास: मंगल का प्रभाव थोड़ा शांत हो सकता है, जिससे गुस्सा और आक्रामकता कम हो सकती है.
भावनात्मक जुड़ाव: कर्क राशि चंद्रमा की राशि है, जो भावनाओं और परिवार से जुड़ी है. इसलिए, इस समय लोग अपने परिवार और रिश्तों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.
आर्थिक योजनाओं में स्थिरता: कुछ जातकों के लिए यह समय आर्थिक मामलों में विचारशील निर्णय लेने का हो सकता है.
स्वास्थ्य में सुधार: यदि कुंडली में उचित योग बन रहे हों तो, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं में आराम मिल सकता है.
सलाह:
राशिफल के अनुसार निर्णय लें: नीच का मंगल सभी के लिए खराब नहीं होता. यदि आपकी कुंडली में मंगल उच्च स्थिति के ग्रहों के साथ है या शुभ दृष्टि में है, तो प्रभाव सकारात्मक हो सकता है.
ध्यान और योग करें: मंगल की ऊर्जा को संतुलित रखने के लिए ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच अपनाएं.
जल और अग्नि का ध्यान रखें: यह समय जल और अग्नि से जुड़े कामों में सावधानी बरतने का है.
यदि आप व्यक्तिगत राशिफल और उपाय जानना चाहते हैं, तो कुंडली का विश्लेषण आवश्यक होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-