झील के ऊपर अगहन माह के मेघ

झील के ऊपर अगहन माह के मेघ

प्रेषित समय :16:46:00 PM / Tue, Nov 26th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण", इन्दौर

नील गगन में रुई सरीखे फाहों के अम्बार लगे।
हे अगहन में दिखे मेघ! तुम हिम से लच्छेदार लगे।
निर्मल धवल कीर्ति के बेटे नभ के नव सरदार लगे।
पूरा जल कर चुके दान तुम सचमुच पानीदार लगे।

नीचे झील, झील का पानी दर्पण का आकार लगे।
इस दर्पण में सुगढ़ दूधिया जल घन एकाकार लगे।
निराकार से अजल सजल तुम प्रकट रूप साकार लगे।
सच पूछो तो श्वेत पटों से सजे हुए दरबार लगे।

बीच बसी थी बस्ती लेकिन अब सूना संसार लगे।
कर्ज चुकाने की चाहत में सभी झील के पार लगे।
तुम्हें बसाना चाह रहे सब ताकि तनिक आभार लगे।
इसीलिए सारे रहवासी छोड़ चुके घर बार लगे।

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