बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है. बुध ग्रह सूर्य के सर्वाधिक निकट है. बुध ग्रह को बुद्धि का देवता गया है. यह दिस्वाभावक ग्रह है. काल पुरुष कुंडली में मिथुन व कन्या राशि पर बुध ग्रह का अधिकार है. यह कन्या राशि में उच्च के व मीन राशि में नीच के होते है. यह 15 अंशो पर परम उच्च और नीच का होता है. यह उत्तर दिशा का स्वामी है. सूर्य व शुक्र इसके मित्र हैं लेकिन मंगल और चंद्रमा से शत्रुता रखता है. बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह है. बुध महादशा 17 वर्ष की होती है. यह हरित वर्ण के हैं. बुध प्रभावित व्यक्ति हंसना,बोलना व मजाक करना पसंद करते हैं. नसों का कारक बुध है. बुध सफल व्यापार करने की क्षमता प्रदान करते हैं. बुध त्वचा का प्रतिनिधित्व करते हैं. बुद्ध ग्रहण करने की क्षमता है. बुध ग्रह व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में ढलने की कला देता है.
व्यापार,बहन,बुआ,अकाउंट,गणित,ज्योतिष विद्या बुध में ही निहित है. बुध ग्रह अपने गुणों के साथ-साथ जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके भी फल प्रदान करता है. यह छोटा सा ग्रह है लेकिन तेज तर्रार ग्रह. राहु व मंगल इनकी राशियों के कारक व उच्च के होते हैं. सूर्य ग्रह का सबसे प्यारा बच्चा बुध है. ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से बुध को आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है. ऐसे लोग जिनका बुध बली होता है,वे संवाद और संचार के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं. बुध से प्रभावित जातक हास्य विनोद प्रिय होते हैं. ऐसे लोग बुद्धिमान,कूटनीतिज्ञ और राजनीति कुशल होते है. इनकी शरीर में नसें साफ झलकती हैं. बुध ग्रह शिल्प कला व हुनर का पारखी बनाता है.
प्रथम भाव:-
जन्म कुंडली के इस भाव में बुध का रहना अतिशुभ माना गया है. अपनी राशि में रहने पर ये जातक को बुद्धि, वाक्चातुर्यता तथा शारीरिक सुन्दरता देते हैं. ऐसा व्यक्ति सामाजिक पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करता है उसके द्वारा कही गई बातों को बड़े गौर से सुना जाता है. सूर्य के साथ यदि बुध विराजमान हों और परस्पर 10 अंश की दूरी भी हो तो बुधादित्य योग का निर्माण होता है जो व्यक्ति को जीवन में सफलताओं के चरम तक ले जाता है, वह मिलन सार और मृदुभाषी होता है.
द्वितीय भाव:-
जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध जातक को बुद्धिमान, कुशल वक्ता तथा अपनी योजनाओं को फलीभूत करवाने वाला बनता है. ऐसा जातक खोया हुआ धन प्राप्त करता है. उसके जीवन में आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बने रहते हैं. अपने घर में विराजमान रहने पर यह व्यक्ति को गीत-संगीत के क्षेत्र में अच्छी प्रतिष्ठा दिलाते हैं. ऐसा व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास करने वाला, दूसरों की मदद करने वाला और अपने बाहुबल से धन अर्जित करने वाला होता है.
तृतीय भाव:-
जन्म कुंडली के इस भाव में बुध के विराजमान रहने जातक अपने बंधुओं से स्नेह अर्जित करता है. उसके द्वारा लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना होती है. ऐसे लोग रूढ़िवादिता का भी शिकार हो जाते हैं. धर्म एवं अध्यात्म के प्रति गहरी आस्था रहती है. ये घूमने फिरने तथा विदेश प्रवास में अच्छी रुचि रखते हैं. अपने घर में विराजमान रहने पर बुध मनोनुकूल फल प्राप्त कराते हैं किंतु नीच राशि मीन में रहने पर मानसिक विकार भी उत्पन्न कराते हैं.
चतुर्थ भाव:-
जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान रहने पर बुध व्यक्ति को स्वाभिमानी, कुशल वक्ता, सफल उद्यमी तथा परिश्रमी बनाते हैं. जातक अपने ही बाहुबल पर मकान-वाहन का सुख प्राप्त करता है. मित्रों की संख्या कम रहती है. पाप ग्रहों के साथ रहने पर ये व्यक्ति को वासनाओं की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं. शिक्षण कार्य, लेखन, पठन-पाठन तथा प्रशासनिक कार्यों में अच्छी सफलता हासिल करते हुए ये जनप्रिय बने रहते हैं. इनमें नेतृत्व शक्ति की प्रधानता रहती है.
पंचम भाव:-
जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध किसी भी जातक के लिए वरदान से कम नहीं है. यदि ये अपने घर में हों तो ऐसा जातक गायक, संगीतज्ञ, तथा ललित कलाओं का प्रेमी होता है. साधारण से परिवार में जन्म लेने पर भी ऐसे लोग अपनी कुशल बुद्धिमत्ता के बल पर समाज में अच्छी मान प्रतिष्ठा हासिल करते हैं. दूसरों से प्रेम करने वाले, शिक्षा देने वाले और समाज में एक अलग तरह का उदाहरण पेश करने वाले ऐसे लोग कामयाब जीवन व्यतीत करते हैं.
छठे भाव:-
किसी भी जातक की जन्मकुंडली में बुध इस भाव में विराजमान हों तो उसके जीवन में मिश्रित फल घटता हुआ दिखाई देता है. गुप्त शत्रुओं की अधिकता रहती है ऐसे लोगोंके शत्रु पढ़ेलिखे और सहकर्मी ही होते हैं. जीवनपर्यंत कोर्ट-कचहरी के मामलों से भी दो-चार होना पड़ता है. कई बार देखा गया है कि ऐसे लोगों के करियर में काफी उतार-चढ़ाव रहता है. यदि बुध मिथुन अथवा कन्या राशि में हों तो इन घटनाओं में कुछ कमी आती है. जातक विदेश प्रवास का भी आनंद लेता है.
सप्तम भाव:-
जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध अति शुभ फल देते हैं. जातक व्यापार के क्षेत्र में अच्छी सफलता हासिल करते हैं. दांपत्य जीवन सुखद रहता है किंतु शनि के साथ ही यदि यहां विराजमान हों तो उनके फल अच्छे नहीं रहते. बुध अपनी राशि के हों तो ऐसे लोगों को ससुराल पक्ष से सहयोग मिलता है और धन का आगमन होता रहता है. ऐसा जातक दीर्घजीवी, प्रसिद्ध, यशस्वी और कुशल प्रशासनिक अधिकारी होता है, अहंकारके कारण अपना नुकसान भी कर लेते हैं.
अष्टम भाव:-
जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध का फल काफी मिला-जुला रहता है, ऐसे लोगों को कहीं न कहीं स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे चर्मरोग, एलर्जी, हड्डी और पेट से संबंधित समस्याओं से जूझना पड़ता है. अपने घर में विराजमान बुध जातक को उत्तम स्वास्थ्य और सामाजिक पद-प्रतिष्ठा भी दिलाते हैं, मकान वाहन का सुख तो मिलता ही है सभी भौतिक उपलब्धियों का भी सुख प्राप्त होता है. ये किसी न किसी सरकारी संस्था के द्वारा भी सम्मानित किए जाते हैं.
नवम भाव:-
किसी भी जातक की जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध का फल बेहतरीन सफलता देता है. ऐसा व्यक्ति धर्म-कर्म में रुचि वाला धार्मिक ग्रंथों का संपादन करने वाला, प्रकाशक और कुशल वक्ता होता है. कई बार सामाजिक जिम्मेदारियों का दबाव उन पर सीधा दिखाई देता है. बुध अपने घर में विराजमान हों तो फल दोगुना हो जाता है. ऐसा जातक जीवन में अच्छी ख्याति अर्जित करता है. देश विदेश का भ्रमण करता है विदेशी कंपनियों में भी बड़े पदों पर आसीन होता है.
दशम भाव:-
जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध जातक को अति मिलनसार, न्यायिक प्रक्रिया का पालन करने वाला, कुशल प्रशासक और समाजसेवी बनाते हैं. सामान्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचता है. यदि ये अपनी राशि में विराजमान हों अथवा कोई बड़ा योग बनाए हों तो उनकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंचती है. सभी तरह का निर्णय लेने में कुशल साहसी और निर्भीक प्रकृति का ऐसा जातक सफल जीवन व्यतीत करता है.
एकादश भाव:-
जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध जातक को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाते हैं. व्यक्ति नौकरी करें या व्यापार सफलताओं के शिखर तक पहुंचता है. कुशल गणितज्ञ, ज्योतिषी, न्यायिक प्रक्रिया में रुचि रखने वाला, लेखन तथा प्रकाशन के क्षेत्र में अच्छी ख्याति अर्जित करता है. बुध अपने घर में विराजमान हों तो छोटे स्तर से कार्य करके बड़ा व्यापारी बनता है. चाहने वालोंकी लंबी लिस्ट होती है. गीत-संगीत में रुचि रखने वाला ऐसा व्यक्ति अपनी पहचान स्वयं बनाता है.
द्वादश भाव:-
जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध का फल बड़ा अप्रत्याशित रहता है ऐसे व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव की अधिकता रहती है. यात्राओं के प्रेमी और धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले ऐसे लोग खूब सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं. धार्मिक ट्रस्टों, वृद्ध आश्रमों तथा मंदिरों में दानके लिए ऐसे लोगों को जाना जाता है. बुध अपने घर में विराजमान हों तो ऐसा व्यक्ति विदेशी कंपनियों में बड़े पदों पर नौकरी करता है और स्वयं के बलपर विदेश प्रवास भी करता है.