अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के 3 आधार पेश किए, वंशज बोले ऐसी हरकतें देश के लिए खतरा

अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के 3 आधार पेश किए

प्रेषित समय :14:16:52 PM / Thu, Nov 28th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अजमेर. राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है. अजमेर सिविल कोर्ट में लगाई गई याचिका को कोर्ट ने सुनने योग्य मानते हुए सुनवाई की अगली तारीख 20 दिसंबर तय की है. याचिका दायर करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मुख्य रूप से 3 आधार बताए हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि तथ्य साबित करते हैं कि दरगाह की जगह पहले मंदिर था. उन्होंने कहा कि 2 साल की रिसर्च व रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की किताब में दिए गए तथ्यों के आधार पर याचिका दायर की है. किताब में इसका जिक्र है कि यहां ब्राह्मण दंपती रहते थे. दरगाह स्थल पर बने महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे. इसके अलावा कई अन्य तथ्य हैं. जो साबित करते हैं कि दरगाह से पहले यहां शिव मंदिर रहा था. कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय दरगाह कमेटी व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया है. 20 दिसंबर को उन्हें अपना पक्ष लेकर उपस्थित होना है.  हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील रामस्वरूप बिश्नोई ने बताया. सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने मामले की सुनवाई को लेकर आगे की तारीख दी है. मामला भगवान श्री संकट मोचन महादेव विराजमान बनाम दरगाह कमेटी के बीच है.

इसमें पहले 750 पेजों का वाद पेश किया गया था. बुधवार को संशोधित करके 38 पेजों का किया गया. इसके बाद इसे सिविल कोर्ट में लगाया गया था. इस मामले को लेकर अजमेर दरगाह प्रमुख उत्तराधिकारी और ख्वाजा साहब के वंशज नसरुद्दीन चिश्ती ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा ऐसी हरकतें देश की एकता के लिए खतरा हैं. यहां तो हिंदू राजाओं ने भी अकीदत की है. दरगाह में मौजूद कटहरा जयपुर के महाराजा ने भेंट किया है. 1950 के सर्वे में स्पष्ट हो चुका है कि दरगाह में कोई हिंदू मंदिर नहीं था. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया कि मैंने अजमेर के लोगों को कहते सुना था आसपास कई बार ये दावे किए गए थे कि दरगाह में पहले संकट मोचन महादेव का मंदिर था.

इसकी बनावट को भी लोग संदेह की दृष्टि से देखते थे. इसे लेकर मैंने 2 साल पहले रिसर्च शुरू की. इसी दौरान मुझे अजमेर के प्रतिष्ठित जज हरबिलास शारदा की किताब अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव के बारे में जानकारी मिली. इसमें दावा किया गया था कि यहां कभी संकट मोचन महादेव का मंदिर हुआ करता था. श्री गुप्ता ने बताया कि अजमेर आता तो लोग दबी जुबान में कहते थे कि यहां हिंदू मंदिर रहा है. दरगाह के दरवाजों व इसकी बिल्डिंग पर बनी नक्काशी हिंदू मंदिरों की याद दिलाती है.  जब हरबिलास शारदा की किताब को पढ़ा तो उसमें साफ-साफ लिखा था कि यहां पहले ब्राह्मण दंपती रहते थे. यह दंपती सुबह चंदन से महादेव का तिलक करते थे और जलाभिषेक करते थे. हरबिलास शारदा कोई आम व्यक्ति नहीं थे. वे जोधपुर हाई कोर्ट में सीनियर जज के रूप में रहे. वह अजमेर मेरवाड़ा 1892 के न्यायिक विभाग में भी रहे. यहां अजमेर में तो उनके नाम से हरबिलास शारदा मार्ग भी है. उन्होंने 1911 में यह किताब लिखी थी. गुप्ता ने दावा किया कि यह किताब गलत साबित नहीं हो सकती है.

दावे के तीन आधार-

-दरवाजों की बनावट व नक्काशी: दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे की तरह है. नक्काशी को देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पहले हिंदू मंदिर रहा होगा.

-ऊपरी स्ट्रक्चर: दरगाह के ऊपरी स्ट्रक्चर देखेंगे तो यहां भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें दिखती हैं. गुम्बदों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी हिंदू मंदिर को तोड़कर यहां दरगाह का निर्माण करवाया गया है.

-पानी व झरने: जहां-जहां शिव मंदिर हैं वहां पानी और झरने जरूर होते हैं. यहां अजमेर दरगाह भी ऐसा ही है.  मुस्लिम आक्रांता जब एक विद्यालय को तोड़कर ढाई दिन का झोपड़ा बना सकते हैं तो फिर शिव मंदिर तो जरूर तोड़ा होगा. उन्होंने कहा. यहां तहखाने में शिव मंदिर का दावा है क्योंकि शिव मंदिर के ऊपर ही दरगाह का निर्माण किया गया है.

वंशज बोले, सस्ती मानसिकता के लिए कर रहे ऐसी बातें-

अजमेर दरगाह प्रमुख उत्तराधिकारी और ख्वाजा साहब के वंशज नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि कुछ लोग सस्ती मानसिकता के चलते ऐसी बातें कर रहे हैं. कब तक ऐसा चलता रहेगा. आए दिन हर मस्जिद-दरगाह में मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. ऐसा कानून आना चाहिए कि इस तरह की बातें ना की जाएं. ये सारे दावे झूठे और निराधार हैं. हरबिलास शारदा की किताब की बात छोड़ दें तो क्या 800 साल पुराने इतिहास को नहीं नकारा जा सकता है. यहां हिंदू राजाओं ने अकीदत की है. अंदर जो चांदी 42961 तोला का कटहरा है वो जयपुर महाराज का चढ़ाया हुआ है. ये सब झूठी बातें हैं. भारत सरकार में पहले ही 1950 में जस्टिस गुलाम हसन की कमेटी क्लीन चिट दे चुकी है. इसके तहत दरगाह की एक-एक इमारत की जांच की जा चुकी है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-