पलपल संवाददाता, भोपाल. एमपी में अब निजी अस्पताल व नर्सिंग होम्स को जांच व ट्रीटमेंट में होने वाले खर्च की रेट लिस्ट लगाना जरुरी होगा. प्रदेश की मोहन सरकार ने यह निर्णय मरीजों को लुटने से बचाने के लिए किया है. सरकार ने तय किया है कि निजी अस्पताल या नर्सिंग होम्स को खर्च का सारा ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा. इनके मैनेजमेंट को बताना होगा कि उनके अस्पताल या नर्सिंग होम में किस जांच की कितनी फीस ली जाएगी.
प्रदेश सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी अस्पताल को अपने यहां जांच-ट्रीटमेंट की रेट लिस्ट में बदलाव करना होगा तो पहले मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को इसकी जानकारी देना होगी. यहां तक कि सभी निजी अस्पतालों को निर्देश दिए गए है कि अपने यहां की चिकित्सकीय सेवाओं की रेट लिस्ट काउंटर पर लगाएं.
मरीज या उनके परिजन मांग करते हैं तो रेट लिस्ट दिखाना भी अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी. जारी आदेश में स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने कहा कि यदि किसी अस्पताल को रेट लिस्ट में कोई बदलाव करना है तो इसकी लिखित सूचना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को देना जरूरी है. संशोधित दर सूची को भी प्रमुखता से अस्पताल में लगाना होगा. आयुक्त ने कहा है कि इस तरह के निर्णय का उद्देश्य मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना व स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाना है.
रेट लिस्ट के अतिरिक्त शुल्क लेना नियमों का उल्लंघन है. मनमाना शुल्क वसूलने की घटनाओं को रोकने के लिए आयुक्त ने सीएमएचओ को लगातार निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं. उक्ताशय के यह निर्देश मध्यप्रदेश उपचर्यागृह व रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं अधिनियम 1973 व नियम 1997 (यथासंशोधित 2021) के नियम 17 के अनुसार जारी किए गए हैं. सभी निजी चिकित्सालयों को यह तय करना होगा कि वे इन प्रावधानों का पालन करें. आयुक्त ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इसका पालन कराने के निर्देश दिए हैं.
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