सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जजों का संन्यासी जैसा जीवन, घोड़े जैसा काम, जानिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट: जजों का संन्यासी जैसा जीवन, घोड़े जैसा काम

प्रेषित समय :14:05:44 PM / Fri, Dec 13th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. जजों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए और ऑनलाइन फ़ैसलों पर राय देने से बचना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों को संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. न्यायपालिका में दिखावे की कोई जगह नहीं है, ऐसा कहते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर न्यायिक अधिकारी फ़ेसबुक पर राय ज़ाहिर करेंगे, तो कल आने वाला फैसला किसी न किसी रूप में लीक हो जाएगा.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की महिला न्यायिक अधिकारी अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को बर्खास्त करने के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने यह मौखिक टिप्पणी की.

यह (सोशल मीडिया) एक खुला मंच है. आपको एक संन्यासी की तरह जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए. न्यायिक अधिकारियों को बहुत त्याग करना पड़ता है. उन्हें फेसबुक पर नहीं जाना चाहिए, कोर्ट ने कहा.

एमिकस क्यूरी और कोर्ट के सलाहकार रहे वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल की दलीलों के बाद महिला जजों के ख़िलाफ़ शिकायतें आईं. गौरव अग्रवाल ने अपनी दलीलों में जज के फेसबुक पोस्ट का भी जिक्र किया था.

11 नवंबर 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन के आधार पर छह महिला सिविल जजों को बर्खास्त करने के फैसले पर विचार किया था. 1 अगस्त को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनमें से चार को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फ़ैसला किया. ज्योति वर्कड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को बहाल किया गया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बाकी दो जजों को बर्खास्त कर दिया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-