राजेश कुमार सिन्हा
भारतीय सिनेमा, विशेष रूप से हिंदी फिल्में, भारतीय समाज और संस्कृति का आईना मानी जाती हैं. ये फिल्में न केवल लोगों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि हमारी परंपराओं, त्योहारों और विशेष अवसरों को भी बड़े परदे पर सजीव रूप से चित्रित करती हैं. ऐसा ही एक विशेष अवसर है "नया साल," जो उम्मीदों, खुशियों और नई शुरुआतों का प्रतीक है. हिंदी फिल्मों में नए साल को विभिन्न रूपों में दिखाया गया है, जहां इसे कभी उत्सवपूर्ण माहौल में, कभी रोमांस के जरिए, तो कभी नए जीवन की शुरुआत के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है.नए साल का जश्न हिंदी फिल्मों में अक्सर बड़े ही भव्य और रंगीन अंदाज में दर्शाया गया है. नाच-गाने, पार्टियां और उत्सव के माध्यम से नए साल की शुरुआत का स्वागत करते हुए सिनेमा में एक विशेष ऊर्जा दिखाई देती है. उदाहरण के तौर पर, फिल्म "द ग्रेट गैम्बलर" का गीत "दो लफ़्ज़ों की है दिल की कहानी" या "कभी खुशी कभी ग़म" में दिखाए गए भव्य पार्टियों के दृश्य, नए साल के जश्न को सजीव करते हैं.
इसके अलावा, "हैप्पी न्यू ईयर" जैसी फिल्में पूरी तरह से नए साल के जश्न और उससे जुड़े रोमांच पर आधारित हैं. फराह खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म में नए साल के मौके पर एक बड़े पैमाने पर चोरी की साजिश को दिखाया गया है. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे नए साल को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है.
नए साल के मौके पर हिंदी फिल्मों में रोमांस एक प्रमुख तत्व रहा है. कई फिल्मों में नए साल की रात को प्रेम कहानी के एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दिखाया गया है. उदाहरण के लिए, फिल्म "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" में, नए साल की पार्टी का दृश्य राज और सिमरन की कहानी को आगे बढ़ाता है.वहीं, फिल्म "जब वी मेट" का गाना "आओगे जब तुम साजना" नए साल की उम्मीदों और नए रिश्तों की शुरुआत का प्रतीक है. हिंदी फिल्मों में गाने हमेशा से भावनाओं को व्यक्त करने का मुख्य साधन रहे हैं, और नए साल से जुड़े गाने न केवल कहानी को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दर्शकों को भी भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं.नया साल सिर्फ जश्न या रोमांस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक भी है. हिंदी फिल्मों में कई बार नए साल को मुख्य पात्रों के जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने के संदर्भ में दिखाया गया है.
फिल्म "लगान" में नए साल का संदेश यह है कि हर कठिनाई के बाद एक नई सुबह होती है. इसी प्रकार, "तारे ज़मीन पर" में, एक छोटे बच्चे की जिंदगी में नई उम्मीदें और संभावनाएं जुड़ती हैं. इस फिल्म में नए साल को प्रतीकात्मक रूप से एक नई सोच और दृष्टिकोण के रूप में पेश किया गया है.
नए साल के इर्द-गिर्द हास्य और मनोरंजन भी हिंदी फिल्मों का एक अभिन्न हिस्सा रहा है. फिल्म "चुपके चुपके" या "गोलमाल" जैसी क्लासिक कॉमेडी फिल्मों में नए साल के जश्न को हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाया गया है.
साथ ही, "मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस." में नए साल का संदेश यह है कि जीवन में खुशी और इंसानियत सबसे महत्वपूर्ण हैं. फिल्में दर्शाती हैं कि नए साल का जश्न सिर्फ मौज-मस्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्लेषण और दूसरों के प्रति दया भाव रखने का भी समय है.समय के साथ हिंदी सिनेमा में नए साल के चित्रण में भी बदलाव आया है. जहां 70 और 80 के दशक की फिल्मों में यह केवल पार्टियों और गीतों तक सीमित था, वहीं 90 के दशक और 2000 के बाद की फिल्मों में इसे गहराई और प्रतीकात्मकता के साथ दिखाया गया है.
फिल्म "ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा" में नए साल का संदेश यह था कि हर दिन को खास बनाना चाहिए. वहीं, "ये जवानी है दीवानी" में नए साल का जश्न युवाओं की ऊर्जा और महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है.
हिंदी फिल्मों में नए साल का चित्रण कई रूपों और संदर्भों में किया गया है. एक फिल्म आई थी"कहानी"
सुजॉय घोष की इस थ्रिलर फिल्म में नया साल एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में आता है. कहानी के क्लाइमेक्स में नए साल की रात कोलकाता के दुर्गा पूजा के बाद एक अलग अंदाज में दिखाया गया है. यह फिल्म इस बात का प्रतीक है कि नया साल सिर्फ खुशियों का नहीं, बल्कि जीवन में बड़े फैसलों और बदलावों का भी समय हो सकता है. ऐसे ही कार्तिक कॉलिंग कार्तिक" जिसमें फरहान अख्तर और दीपिका पादुकोण ने मुख्य भूमिका निभाई थी में नए साल का जिक्र एक नए सिरे से जीवन शुरू करने के संदर्भ में आता है. यह फिल्म मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास की बात करती है, और नए साल को नायक के जीवन की नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है. नए साल के अवसर बने कुछ गाने भी खूब लोकप्रिय हुए थे मसलन फिल्म "खुदा गवाह " का गाना"हैप्पी न्यू ईयर टू यू" जिसमें अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी ने अभिनय किया था नए साल के जश्न और रोमांटिक भावनाओं को खूबसूरती से दर्शाती है. गाने के जरिए नए साल का स्वागत और भविष्य की उम्मीदों को व्यक्त किया गया है. फिल्म रेस 2 का गाना
"पार्टी ऑन माई माइंड" –
में नए साल की पार्टी और युवाओं के उत्साह को प्रदर्शित किया गया है. यह गीत आधुनिक हिंदी फिल्मों में नए साल के जश्न की झलक को दर्शाता है. बॉलीवुड की कई फिल्मों में नया साल अलग अलग फॉर्मेट और अलग अलग संदेशों के साथ दिखाया गया है. जैसे करण जौहर की "कभी अलविदा ना कहना" में नए साल की पार्टी एक महत्वपूर्ण मोड़ लाती है. पार्टी का दृश्य नायक और नायिका के बीच रिश्ते की नई परिभाषा को दर्शाता है. फराह खान की"ओम शांति ओम"में नए साल का संदर्भ पुनर्जन्म और बदले की भावना से जुड़ा है. फिल्म यह संदेश देती है कि हर अंत एक नई शुरुआत को जन्म देता है. कुछ फिल्म जैसे "हाउस फुल"में नए साल के जश्न को हास्य और भ्रम की स्थिति के साथ प्रस्तुत किया गया है."3 इडियट्स"
में नया साल सीधे तौर पर नहीं दिखाया गया है, लेकिन पूरी कहानी जीवन में दोस्ती, सपनों और नई शुरुआत के संदेश को दर्शाती है. विक्रमादित्य मोटवानी की "उड़ान "एक युवा लड़के की कहानी है, जो अपने सपनों के लिए पारंपरिक बाधाओं को तोड़ता है. नए साल का प्रतीक यहां स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता है. "गली बॉय" नए साल के प्रतीक के रूप में संघर्ष और सपनों की प्राप्ति की कहानी कहती है. सच कहें तो हिंदी सिनेमा में नए साल का चित्रण कभी खुशी और उत्सव के रूप में, तो कभी जीवन के महत्वपूर्ण बदलाव के प्रतीक के रूप में होता है. यह न केवल फिल्मों को मनोरंजक बनाता है, बल्कि दर्शकों को भी प्रेरित करता है. नए साल से जुड़ी हिंदी फिल्मों में दर्शाई गई विविधता यह दर्शाती है कि यह अवसर हर वर्ग और पीढ़ी के लिए कितना मायने रखता है.हिंदी फिल्मों में नया साल हमेशा से आशा, नई शुरुआत और उत्सव का प्रतीक रहा है. यह पर्व न केवल जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि दर्शकों को प्रेरित करता है कि वे हर नए साल को नए अवसरों और संभावनाओं के रूप में देखें.
सिनेमा में नए साल का जश्न न केवल हमारे समाज की बदलती सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे यह अवसर हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर का हिस्सा बन चुका है. नए साल पर आधारित हिंदी फिल्में और गाने हमें यह याद दिलाते हैं कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, हर साल एक नया अवसर लेकर आता है.
राजेश कुमार सिन्हा
खार (वेस्ट), मुंबई 52
7506345031