सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- मुफ्त की रेवडिय़ों को पैसा, जजों की सैलरी के लिए बहाने

सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- मुफ्त की रेवडिय़ों को पैसा

प्रेषित समय :14:41:27 PM / Wed, Jan 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. लोकतंत्र की मजबूती के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का संतुलन बेहद जरूरी माना जाता है. लेकिन सरकार बनाने के चक्कर में राजनैतिक दल संतुलन बिगाड़ रहे हैं. आलम यह कि न्यायपालिका को चलाने वाले जजों की सैलरी का संकट हो जा रहा है. सरकारें, जजों को सैलरी देने में कोताही कर रही हैं. मंगलवार को ऐसे ही मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकारा और कहा कि मुफ्त की रेवडिय़ां बांटने के लिए पैसे हैं लेकिन जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं.

मुफ्त की रेवडिय़ां घोषित करते समय पैसा लेकिन सैलरी देने में रोने लगते

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव में की गई घोषणाओं का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आता है तो लाडली बहना जैसी योजनाएं लागू करने की बात होती है. दिल्ली में कोई 2100 रुपये तो कोई 2500 रुपये देने की बात कर रहा है. लेकिन जब जजों की सैलरी की बात आती है तो वित्तीय संकट का बहाना बनाने लगते हैं.

अटॉर्नी जनरल ने की वित्तीय दबाव का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित करने की मांग

केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार ने नई पेंशन स्कीम में वित्तीय दबाव को ध्यान में रखा है. अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई को स्थगित करने की मांग की लेकिन बेंच ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह मामला कई सालों से लंबित है. सरकार अगर कोई नोटिफिकेशन जारी करती है तो वह कोर्ट को सूचित करेगी.

2015 में दायर हुई थी जजों की पेंशन और सैलरी सुधार की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन की ओर से दायर की गई याचिका पर की है. याचिका 2015 में दायर की गई थी. याचिका जजों की पेंशन और वेतन में सुधार की मांग को लेकर थी. कोर्ट बुधवार को भी सुनवाई जारी रखेगा.

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