MP: शंकराचार्य बोले, खाली जमीनों पर मस्जिदों का निर्माण करते तो कोई समस्या नहीं होती

MP: शंकराचार्य बोले, खाली जमीनों पर मस्जिदों का निर्माण करते तो कोई समस्या नहीं होती

प्रेषित समय :14:44:27 PM / Wed, Jan 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर पहुंचे द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वति ने वक्फ बोर्ड के उस दावे पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होने कुम्भ मेले की जमीन पर अपना अधिकार बताया है. शंकराचार्य स्वामी सदानंद ने कहा कि वक्फ बोर्ड कहीं भी दावा ठोक देता है. जब उन लोगों ने हमारे देश में आक्रमण किया. कुछ समय तक शासन किया तो उस दौरान मंदिरों के अतिरिक्त काफी जगह खाली पड़ी थी. वहां पर मस्जिद बनाते उनको कौन रोक रहा था. उस समय तो देश में उनका ही राज था.

शंकराचार्य जी ने कहा कि खाली स्थानों में अगर मस्जिदों का निर्माण करते तो आज ये समस्या और हालात नहीं बनते. आज हमारे प्राचीन स्थान हमें प्राप्त हो रहे हैं तो ये हमारा अधिकार हैए और हम वापस लेंगे. वक्फ के दावों को लेकर शंकराचार्य जी ने यहां तक कह डाला कि अगर कोई लोकसभा में दावा कर दे तो उसे कौन मानेगा. प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले में सनातनियों ने गैर हिंदुओं पर रोक लगाने की सरकार से मांग की है.

इस विषय पर शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अपनी सहमति जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जो हिंदू धर्म को नहीं मानते है, भारत माता को वंदे मातरम नहीं बोलते, इसको लेकर उन्हें अगर तकलीफ है तो फिर कुंभ में जाने का काम क्या है. शंकराचार्य ने कहा किए कुंभ में धर्म का संपादन, गंगा स्नान करते हुए अपने परंपरागत तीर्थ है, जहां जाकर प्रणाम करते है, तीर्थ करते है.

कुंभ हमारे लिए यज्ञ है. उन लोगों को ना तो गंगा स्नान करना है और न ही वहां पर हनुमान जी और न ही त्रिवेणी के दर्शन करना है तो फिर वहां जाने का मतलब क्या है. शंकराचार्य जी ने कहा किए हम अगर आपकी मस्जिद में जाते हैं, तो हमें भी मत जाने देना. कुंभ मेले में शाही स्नान को अमृत स्नान कहने पर शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अपनी सहमति जताई है. जबलपुर पहुंचे शंकराचार्य जी ने कहा कि गंगा जल को अमृत माना गया है.

क्योंकि गंगा स्नान की परंपरा व महत्व प्राचीन सनातन परंपरा का अभिन्न हिस्सा है. जब मनुष्य गंगा स्नान करने के लिए चलता है, तो पाप रोता है. गंगा स्नान शास्त्र व वेद युक्त परंपरा है, इसलिए त्रिवेणी में स्नान करना बहुत जरूरी है. 12 साल में कुंभ आया है. इसलिए सभी हिंदुओं को प्रयागराज जरूर जाना चाहिए. गंगा जल अमृत ही है और जो लोग नाम बदलना चाहते हैंए उस पर भी किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिएए क्योंकि नाम का कोई महत्व नहीं होता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-