अभिमनोज
इमरान प्रतापगढ़ी को बड़ी राहत मिली है, भड़काऊ वीडियो के मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी.
खबरें हैं कि.... कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को अंतरिम राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ गुजरात के जामनगर में दर्ज एफआईआर में किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी पर सामाजिक सौहार्द बिगड़ाने वाले एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर यह एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसे गुजरात हाईकोर्ट ने निरस्त करने से मना करते हुए उनसे जांच में सहयोग करने को कहा था.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने इमरान प्रतापगढ़ी के वकील की दलीलें सुनने के बाद गुजरात सरकार और शिकायतकर्ता किशनभाई नंदा को नोटिस जारी कर दिया और कहा कि- इस याचिका पर 10 फरवरी 2025 को सुनवाई होगी, तब तक पुलिस एफआईआर को लेकर अपनी कार्रवाई स्थगित रखे.
उल्लेखनीय है कि.... जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल होने के बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने 2 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने बैकग्राउंड ऑडियो के तौर पर एक कविता लगाई थी- ऐ खून के प्यासे लोगों सुनो.. ऐसे शब्दों वाली कविता को सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश बताते हुए 3 जनवरी को जामनगर के रहने वाले किशनभाई नंदा ने एफआईआर दर्ज करवाई, उस एफआईआर में बीएनएस की धाराएं 196 और 197 जोड़ी गई हैं, जिनके तहत 5 साल तक की सज़ा हो सकती है!
खबरों की मानें तो.... इस एफआईआर को रद्द करने की अपनी याचिका में इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा है कि- पृष्ठभूमि में पढ़ी जा रही कविता “प्रेम और अहिंसा का संदेश“ देती है, जबकि.... एफआईआर का इस्तेमाल उन्हें परेशान करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया है और इसे “दुर्भावनापूर्ण इरादे और गलत इरादे से“ दर्ज किया गया है!

