नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसके लिए समाज को बदलना होगा, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते. याचिका में कहा गया था कि मौजूदा दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे में इनमें सुधार किए जाने चाहिए.
बीते दिनों बंगलूरू में एक इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली थी. इंजीनियर ने अपनी पत्नी पर कानूनी तौर पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था और इंजीनियर ने कानून में कथित खामियों का भी आरोप लगाया था. इंजीनियर की आत्महत्या के बाद समाज में देहज और घरेलू हिंसा कानूनों के गलत इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कानूनों में सुधार की मांग की गई. याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों, वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की सदस्यता वाली एक समिति बनाने की मांग की गई थी, जो मौजूदा दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों की समीक्षा करे.
याचिका में दिए गए थे ये सुझाव
याचिका में ये भी मांग की गई थी कि ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए कि शादी पंजीकृत कराते समय शादी में मिले सामान और उपहारों को भी पंजीकृत कराया जाए. साथ ही साल 2010 में आईपीसी की धारा 498ए को लेकर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणियां की थीं, उन्हें भी लागू किया जाए. याचिका में कहा गया कि कानूनों में सुधार से मासूम पुरुषों की जान बचाई जा सकती है और इस कानून का जो उद्देश्य है, वो भी पूरा होता रहेगा.
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