मुंबई. रामचरितमानस में श्रीरामभक्त तुलसीदास ने अरण्यकांड में मुनि शरभंगजी के आश्रम में भगवान श्रीराम के पहुंचने पर मुनि द्वारा भगवान श्रीराम के आकर्षक स्वरूप का वर्णन करते हुए, उत्तम भक्ति प्रदान करने के लिए प्रार्थना का वर्णन किया है, अक्सर भक्तों का मन भक्ति से भटकता है, ऐसे में भगवान श्रीराम से यह प्रार्थना भक्तिभाव को बढ़ाने में सहायक है, जीवन में विजय के लिए शुभ आशीर्वाद मिलता है.
सीता अनुज समेत प्रभु नील जलद तनु स्याम।
मम हियँ बसहु निरंतर सगुनरूप श्री राम।।
भावार्थ.... हे नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-