जन्म कुंडली के अनुसार घर बनने का योग कब तक!

जन्म कुंडली के अनुसार घर बनने का योग कब तक!

प्रेषित समय :17:59:53 PM / Tue, Dec 10th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

सभी का सपना होता है कि उसका अपना एक सुंदर घर हो, जिसमें तमाम सुख-सुविधाएं भी हो. किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर यह बताया जा सकता है कि उस व्यक्ति का कभी अपना मकान भी होगा या नहीं, होगा तो यह स्थिति कब बनेगी. जो लोग स्वपरिश्रम से भवन प्राप्त करते हैं उनकी कुण्डली में कुछ विशेष योग बनते हैं.

1- भूमि का ग्रह मंगल है. जन्मपत्री का चौथा भाव भूमि व भवन का है. वस्तुत: चौथे भाव के स्वामी (चतुर्थेश) का केंद्र त्रिकोण में होना उत्तम भवन प्राप्ति का योग है. मंगल और चतुर्थेश लग्नेश व नवमेश का बली होना या शुभग्रहों से युत या दुष्ट होना भवन प्राप्ति का अच्छा संकेत है.

2- जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी किसी शुभ ग्रह के साथ युति करके 1, 4, 5, 7, 9 व 10 वें भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को स्वश्रम से निर्मित उत्तम सुख-सुविधाओं ये युक्त भवन प्राप्त होता है.

3- जन्मकुण्डली के चौथे भाव का स्वामी (चतुर्थेश) पहले (लग्न) भाव में हो और पहले (लग्न) भाव का स्वामी (लग्नेश) चौथे भाव में हो तो भी ऐसा व्यक्ति स्व पराक्रम व पुरुषार्थ से अपना घर(भवन) बनाता है.

4- जन्मकुण्डली के चौथे भाव में चंद्र और शुक्र की युति हो या चौथे भाव में कोई उच्च राशिगत(उच्च राशि में स्थित ग्रह) हो, चौथे भाव का स्वामी केंद्र-त्रिकोण (1, 4, 5, 7, 9, 10 वें) भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति के पास अपना बंगला या महलनुमा भवन होता है जिसमें कलात्मक बगीचा या जलाशय होता है.

5- जन्मकुण्डली के चौथे भाव का स्वामी(चतुर्थेश) एवं दसवें भाव का स्वामी (दशमेश) चंद्रमा और शनि से युत हो तो ऐसे व्यक्ति का भवन दूसरों से अलग, सुंदर आकर्षक एवं नूतन साज-सज्जा से युक्त होता है.

6- जन्मकुण्डली के चौथे भाव का स्वामी( चतुर्थेश) एवं लग्न का स्वामी (लग्नेश) चौथे भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अचानक निर्मित भवन की प्राप्ति होती है.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-