ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केन्द्राधिपति दोष क्या है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केन्द्राधिपति दोष क्या है?

प्रेषित समय :19:49:20 PM / Thu, Feb 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी ग्रह को एक केन्द्र एवं एक मारक भाव का स्वामित्व प्राप्त हो तो उस ग्रह को केन्द्राधिपति दोष लगता है जिसके विचारणीय पहलू निम्नवत है केन्द्राधिपति दोष नैसर्गिक शुभ ग्रहों को लगता है जिसमे सबसे अधिक दोष गुरु को ,गुरु से कम शुक्र को ,शुक्र से कम दोष बुध को बुध से कम दोष चन्द्रमा को लगता है.

● मिथुन लग्न में गुरु को सप्तम एवं दशम का स्वामित्व के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है.
● मेष लग्न मे शुक्र को द्वितीय एवं सप्तम भाव का स्वामी होने से केन्द्राधिपति दोष लगता है.
● कन्या लग्न मे गुरु को चतुर्थ एवं सप्तम भाव का स्वामी होने से केन्द्राधिपति दोष लगता है.
● तुला लग्न मे मंगल को द्वितीय एवं सप्तम का स्वामित्व प्राप्त है परंतु नैसर्गिक पाप ग्रह होने के कारण मंगल को केन्द्राधिपति दोष नही लगता है .
● वृश्चिक लग्न मे शुक्र को सप्तमेश ( मारकेश एवं केंद्रेश ) होने के कारण केन्द्राधपति दोष लगता है.
● धनु लग्न मे बुध को सप्तम एवं दशम का स्वामित्व होने के कारण केन्द्राधपति दोष लगता है परंतु बुध पापी नहीं होना चाहिए.
● मकर लग्न मे चन्द्रमा को सप्तम एवं केंद्रेश होने के कारण केन्द्राधपति दोष लग सकता है परंतु यह निर्णय करना आवश्यक है वह पक्षबली होने के कारण शुभ है अथवा अशुभ है .
● मीन लग्न मे बुध चतुर्थ एवं सप्तम भाव के स्वामी होने से केन्द्राधपति दोष लगता है परंतु बुध पाप प्रभावित नहीं होना चाहिए.
कोई शुभ ग्रह केन्द्राधिपति दोष मे होने पर अपने स्वभाविक शुभ फल नहीं दे पाता है सम स्थिति रहती है.

एस्ट्रो रेणुका दीक्षित ज्योतिष विज्ञान ऐंवम रहस्य

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-