अभिमनोज
केंद्र सरकार का कहना है कि- दागी नेताओं के लिए छह साल की पाबंदी पर्याप्त है, ताउम्र बैन करना ठीक नहीं है!
खबरें हैं कि.... केंद्र सरकार आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए जाने वाले राजनेताओं पर ताउम्र पाबंदी लगाने के विरोध में है, लिहाजा.... केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसका विरोध किया और कहा कि- छह साल के लिए पाबंदी पर्याप्त है, यही नहीं, यह भी कहा कि- इस तरह की अयोग्यता पर फैसला लेना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है.
बाकायदा, संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 के हवाले से केंद्र सरकार ने कहा कि- संविधान ने अयोग्यता को नियंत्रित करने वाले कानून बनाने के लिए संसद को अधिकार दिया है, संसद के पास अयोग्यता के आधार और अयोग्यता की अवधि दोनों निर्धारित करने की शक्ति है.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट में दोषी नेताओं के खिलाफ आजीवन बैन लगाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि- याचिका की मांग कानून को दोबारा लिखने या संसद को किसी खास तरीके से कानून बनाने का निर्देश देने जैसी है, जो पूरी तरह से न्यायिक समीक्षा की शक्तियों के विपरीत है।
उल्लेखनीय है कि.... एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने वर्ष 2016 में जनहित याचिका प्रस्तुत की थी, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए पूछा था कि- पॉलिटिकल पार्टियों को यह बताना चाहिए कि आखिर वे अच्छी छवि वाले उम्मीदवारों को क्यों नहीं खोज पाते हैं?
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि- देश में सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केसों पर जल्दी निर्णय लिया जाए और दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए!
केंद्र सरकार- छह साल की पाबंदी पर्याप्त, दागी नेताओं को ताउम्र बैन करना ठीक नहीं है!

प्रेषित समय :20:04:15 PM / Thu, Feb 27th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर