-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
* मासिक कार्तिगाई- 5 मार्च 2025, बुधवार
दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार है- कार्तिगाई दीपम्, जिसे दक्षिण भारतीय हिन्दू लंबे समय से मनाते आ रहे हैं. इस अवसर पर श्रद्धालु शाम को अपने घरों और आसपास तेल के दीपक जलाकर खुशियां मनाते हैं. कार्तिकाई दीपम का नाम कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया है, इसलिए इसे कार्तिकाई कहा जाता है क्योंकि इस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है. धर्मधारणा के अनुसार भगवान श्रीविष्णु और ब्रह्मा के समक्ष अपनी अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए भगवान शिव ने स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था, इसलिए कार्तिगाई दीपम भगवान शिव की सर्वोच्च सत्ता के सम्मान के रूप में मनाया जाता रहा है. धर्म में दीपक का विशेष महत्व है क्योंकि यह अंधकार की नकारात्मकता को दूर करता है और यदि अखंड दीपक प्रज्वलित किया जाए तो पूजा-साधना के शुभ परिणाम शीघ्र प्राप्त होते हैं!
कार्तिगाई दीपम के अवसर पर कुछ विशेष पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं....
दीपदान- घरों और मंदिरों में दीप जलाते हैं. पूजा- भगवान शिवजी और भगवान श्रीविष्णु की पूजा करते हैं. अभिषेक- भगवान शिवजी को जल, दूध, गंगाजल से अभिषेक करते हैं. अर्चना- भगवान शिवजी और भगवान श्रीविष्णु को फूल, फल, पूजन सामग्री अर्पित करते हैं, भगवान शिवजी और भगवान श्रीविष्णु के भजन-कीर्तन करते हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=zR7Y_qiOLfE
मासिक कार्तिगाई के दिन 2025.
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5 मार्च 2025, बुधवार
1 अप्रैल 2025, मंगलवार
29 अप्रैल 2025, मंगलवार
26 मई 2025, सोमवार
22 जून 2025, रविवार
20 जुलाई 2025, रविवार
16 अगस्त 2025, शनिवार
12 सितम्बर 2025, शुक्रवार
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
6 नवम्बर 2025, बृहस्पतिवार
4 दिसम्बर 2025, बृहस्पतिवार
31 दिसम्बर 2025, बुधवार
श्री त्रिपुरा सुंदरी धर्म-कर्म पंचांग : 5 मार्च 2025
शक सम्वत 1946, विक्रम सम्वत 2081, अमान्त महीना फाल्गुन, पूर्णिमान्त महीना फाल्गुन, वार बुधवार, शुक्ल पक्ष, तिथि षष्ठी - 12:51 तक, नक्षत्र कृत्तिका - 01:08, (6 मार्च 2025) तक, योग वैधृति - 23:07 तक, करण तैतिल - 12:51 तक, द्वितीय करण गर - 23:47 तक, सूर्य राशि कुम्भ, चन्द्र राशि मेष - 08:13 तक, राहुकाल 12:44 से 14:12, अभिजित मुहूर्त - नहीं है.
बुधवार चौघड़िया- 5 मार्च 2025
दिन का चौघड़िया
लाभ - 06:51 से 08:19
अमृत - 08:19 से 09:47
काल - 09:47 से 11:15
शुभ - 11:15 से 12:44
रोग - 12:44 से 14:12
उद्वेग - 14:12 से 15:40
चर - 15:40 से 17:09
लाभ - 17:09 से 18:37
रात्रि का चौघड़िया
उद्वेग - 18:37 से 20:09
शुभ - 20:09 से 21:40
अमृत - 21:40 से 23:12
चर - 23:12 से 00:43
रोग - 00:43 से 02:15
काल - 02:15 से 03:46
लाभ - 03:46 से 05:18
उद्वेग - 05:18 से 06:50
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!