MP: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की फिर बढ़ सकती है मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट पहुंची प्रदेश सरकार, हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती

MP: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की फिर बढ़ सकती है मुश्किलें

प्रेषित समय :19:12:54 PM / Thu, Mar 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं. राज्य सरकार ने उमंग सिंघार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी यानि विशेष अनुमति याचिका दायर की है. मामला पत्नी से रेप का है. जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था. अब राज्य सरकार ने उमंग सिंघार को राहत देने वाले हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2023 को अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि उमंग सिंघार पर पत्नी से दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं हुआ. कोर्ट ने राहत देते हुए उमंग सिंघार के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर रद्द कर दी थी.  हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि उमंग सिंघार पर पत्नी से दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं हुआ. इसके साथ हीए अदालत ने उन्हें राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर रद्द कर दी थी. गौरतलब है कि उमंग सिंघार की पत्नी ने साल 2022 में धार के नौगांव थाने में उनके खिलाफ प्रताडऩा व दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराई थी.

जिसके विरुद्ध उमंग सिंघार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2023 को अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि उमंग सिंघार पर पत्नी से दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं हुआ. कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर रद्द कर दी थी. अब मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर आने वाले दिनों में सुनवाई कर सकता है( हालांकि सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है. हाईकोर्ट में उमंग सिंघार के खिलाफ दो बिन्दुओं को लेकर सुनवाई हुई थी. पहला ये कि वो पहले से शादीशुदा हैं. दूसरा उन्होंने शादी का झांसा देकर बलात्कार व  अप्राकृतिक कृत्य किया. हाईकोर्ट में सिंघार की ओर से बताया गया किए वे आदिवासी समाज के हैं. तीन शादी करने की उन्हें छूट है.

वैवाहिक जीवन के दौरान आपसी सहमति से उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुए थे. विवाद होने पर पूर्व में भी उनकी पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया है. जिसमें वैवाहिक व लिव-इन-रिलेशनशिप में टकराव के बाद रेप की रिपोर्ट दर्ज करवाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगाने को लेकर टिप्पणी की गई थी. जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट ने इस तर्क से सहमत होते हुए माना कि सिंघार व शिकायतकर्ता महिला के बीच पति-पत्नी के रिश्ते हैं. हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा कि एक पत्नी पति के खिलाफ अप्राकृतिक कृत्य का प्रकरण दर्ज नहीं करा सकती.

वहीं आदिवासी होने के चलते उमंग सिंघार की दूसरी शादी वैध मानी जाएगी. इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में भी एक प्रकरण लंबित है. उस पर निर्णय आने से पहले जबलपुर हाईकोर्ट का ये आदेश एक बड़ी नजीर के रूप में देखा जा रहा है. हाईकोर्ट ने 24 बिन्दुओं पर अपना निर्णय दिया है. गौरतलब है कि 16 नवंबर 2022 को सिंघार ने भी एक शिकायत थाने में दी थी. जिसमें पत्नी पर 10 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया था. उस शिकायत में इस बात का भी जिक्र था कि पैसे मिलने पर विवाद को कानून के बाहर सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटा लिया जाएगा.

प्रकरण दर्ज करने के तत्काल बाद सिंघार की ओर से कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई थी. आईपीसी की धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया है. इसमें साफ कहा गया है कि एक पुरुष द्वारा दूसरी महिला के साथ व एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन कृत्य के बीच स्पष्ट अंतर है. इसमें पहले को अपराध और दूसरे को अपराध नहीं माना गया है. उमंग सिंघार के पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी को अवैध बताया गया था. इसी आधार पर अप्राकृतिक कृत्य को अपराध बताया जा रहा था. कोर्ट ने आदिवासी समाज में तीन शादियों की परंपरा को स्वीकार किया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-