पलपल संवाददाता, भोपाल. एमपी में सरकारी प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले अब मुआवजा नहीं बल्कि जमीन ही दी जाएगी. क्योंकि जमीनों के अधिग्रहण में ही कई प्रोजेक्ट लम्बे समय तक लटके रहते थे. वहीं जमीन मालिक को भी यह शिकायत रहती थी कि सरकार ने सही मुआवजा नहीं दिया है. उनकी जमीन ज्यादा कीमती व उपजाऊ थी, उन्हे कम मुआवजा दिया गया है. इसके लिए सरकार ने विधानसभा में जमीन के अधिग्रहण करने वाले कानून में बदलाव का विधेयक पेश किया है. विधेयक पारित होने पर सरकार जमीन के बदले उसके मालिक को 50 फीसदी जमीन विकसित करके देगी. वो भी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के पास.
सरकार की ओर नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम (टीएंडसीपी) कानून में संशोधन बिल विधानसभा में पेश किया गया. सरकार ने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में नई धारा 66 (क) जोड़ी है. इसमें प्रावधान किया गया है कि किसी भी परियोजना की जमीन को लैंड पूलिंग स्कीम में शामिल किया जा सकता है. शहरी सीमा के अंदर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित होने वाले विशेष क्षेत्रों के विकास के लिए अब विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) जैसी एजेंसी के गठन की जरूरत नहीं होगी. ये काम हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, पुलिस हाउसिंग व पीडब्ल्यूडी करेगा. इसके साथ ही प्राधिकरण जैसे बीडीए, आईडीए, शहर के योजना क्षेत्र यानी प्लानिंग एरिया के बाहर भी रोड, पुल, पुलिया सहित अन्य विकास कार्य समेत कॉलोनियां काट सकेंगे. इसका बड़ा फायदा ये भी होगा कि अभी नॉन-प्लानिंग एरिया में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) जैसी संस्थाएं ही सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर या हाउसिंग प्रोजेक्ट ला सकती हैं.
अब इस एकाधिकार को खत्म कर सभी सरकारी विभागों के लिए निवेश के द्वार खोल दिए गए हैं. हालांकिए ऐसे प्रोजेक्ट 500 करोड़ रुपए से कम लागत के नहीं होंगे. नए प्रावधान के अनुसार ऐसे विशेष क्षेत्र जिन्हें 40 हेक्टेयर या इससे अधिक क्षेत्र में विकसित किया जाना है. वहां सरकारी एजेंसियां 500 करोड़ या अधिक की विकास परियोजनाओं पर काम कर सकेंगी. अब नए प्रावधान के तहत संबंधित प्राधिकरण को एक प्लानिंग तैयार करनी होगीए जिसे राज्य शासन के पास लाकर अनुमति लेनी होगी. गौरतलब है कि भोपाल-इंदौर सहित कई बड़े शहरों में मास्टर प्लान 10 से 15 साल पीछे चल रहे हैं. इसके चलते कई विकास प्राधिकरण बड़े प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पा रहे हैं.
गुजरात के फार्मूले पर जमीन लेगी एजेंसियां-
एमपी सरकर ने भूमि अधिग्रहण में गुजरात के फार्मूले को अपनाने का फैसला किया है. इसके लिए मध्यप्रदेश शासन के अधिकारी गुजरात गए थे. जहां उन्होने इस स्कीम के बारे में सारी जानकारी प्राप्त की है. इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने भूमि अधिग्रहण मामले में गुजरात फार्मूले को लागू करने का फैसला लिया. जिसके तहत पूरे परियोजना क्षेत्र को विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण घोषित करके जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाएगा. इस तरह का कानून महाराष्ट्र में भी लागू है.
50 प्रतिशत जमीन विकसित कर दी जाएगी-
सरकारी जब भी किसी विकास के लिए निजी जमीन का अधिग्रहण करती है तो इसके बदले में जमीन मालिक को मुआवजा दिया जाता है. लैंड पूलिंग सिस्टम में 50 फीसदी जमीन डेवलप कर उसके मालिक को वापस की जाती है. इसमें मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है. जमीन डेवलप होने से उसकी कीमत बढ़ जाती है, साथ ही कई सरकारी औपचारिकताओं से बचा जा सकता है.
बढ़ जाएगी जमीन की कीमत-
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों क कहना है कि यदि किसी प्रोजेक्ट के लिए सरकारी एजेंसी के पास फंड नहीं है तो प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाली निजी जमीन खरीदने की दरकार नहीं होगी. इसी तरह निजी जमीन के मालिक को विकसित जमीन मिलेगी तो उसकी कीमत बढ़ जाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-