कपास की रुई-फूल ओर तेल के गुप्त प्रयोग जिन्हे शायद आपने आज से पहले नही सुने होंगे.
कपास का पौधा घर की सीमा मे होने पर कोई भी नुक्सान नही होता बल्कि घर की सीमा मे इसके होने से सकारात्मक ऊर्जा जरूर बढ़ती है.
लेकिन एक बात जरूर ध्यान रखियेगा की कपास के बिना कोई भी पूजा-अनुष्ठान संभव नहीं है. कपास के बिना दीपक प्रज्वलित नहीं किया जा सकता तथा दीपक के बिना किसी भी पूजा अनुष्ठान में पूर्णता नहीं आती...
इसके विशिष्ठ गुणों के कारण ही इसकी प्रज्वलित ज्योति को दीपक भैरव की संज्ञा भी दी जाती है.
कपास के बीज जिने बिनौला कहते है इन्ही बीजो मे तेल होता है जिसे सम्पीड़न विधि से प्राप्त किया जाता है.
यह तेल हल्के पीले अथवा पीले रंग का होता है इसमें किसी भी प्रकार की कोई गंध नही होती..
कपास के फूल पंसारी की दुकान पर मिलते है.
इसके अनगिनत प्रयोग मे से यहां सिर्फ तीन प्रयोग ही , बाकी भविष्य मे इसके द्वारा रोगो के इलाज भी समयानुसार बताएंगे जैसे तुरंत घाव भरना, निष्ठातर्तव रोग, प्रवाहिका रोग व वर्णों रोग का सफल उपाय
१ - चंद्रपीड़ा से ग्रसित व्यक्ति सदैव बेचेन ओर अनजाने डर से भयभीत रहता है वह डिप्रेशन मे आत्महत्या का प्रयास तक करता है.
ऐसे व्यक्ति कपास के कुछ फूल अपने शयनकक्ष में रखने चाहिये..
फिर इसके चमत्कारी प्रभाव देखियेगा.
चंद्रपीड़ा से मुक्ति मिलती हैं
100% लाभ होगा ही होगा...
२ - किसी कांच के कटोरे मे इन फूलो को रखकर विद्यार्थियों की मेज पर भी रख सकते हैँ ताकि शिक्षा का तनाव उन पर डर की तरह हावी ना हो..
( आजकल तो वैसे पहले से ही करोना महाराज ने विद्यार्थियों को पूर्ण तनाव मुक्त कर रखा हैं..)
३ - 'अन्नपूर्णा प्रयोग' मुझे काफी ऐसे msg मिलते है जिनमे माताएं-बहने लिखती है की हमारे घर में आज भर पेट खाना-खाने के लिए भी पैसे नही है ओर जो भी दुकानदार से उधार मांग कर लाते है वह कुछ दिन भी नहीं चलता मतलब बहुत तेजी से वह राशन ख़त्म हो जाता है....
इसलिए एक बहुत ही आसान सा उपाय बता रही हुँ... जिसकी सफलता की गारंटी में लिखित में दे रही हुँ..
प्रति पूर्णिमा को संध्या के समय कपास की रुई ओर कपास का ही तेल लें, अब रुई से एक फूलबत्ती (ऊपर की ओर वाली ज्योत बत्ती) खड़ी ज्योत बनाकर उस दीपक को अन्नभंण्डार की जगह जलाये ओर माँ अन्नपूर्णा की पूजा-स्तुति कर उनसे अपनी स्थिति के सुधार और अन्न-जल की प्रचुरता (बरकत) मांगे.
इसके प्रभाव से घर की रसोई में बहुत वृद्धि (बरकत) होती है. यही माँ अन्नपूर्णा प्रयोग है.
माँ अन्नपूर्णा आप सभी को उत्तम व भरपेट अन्न-जल प्रदान करे.