नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है. जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकडऩा व उसके पायजामे के नाड़े को तोडऩा रेप या अटेम्प्ट टु रेप नहीं है.
जस्टिस बीआर गवई व एजी मसीह की बेंच ने आज इस केस पर सुनवाई की. बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील व अमानवीय नजरिया दिखाती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. जिस जज ने यह फैसला दिया उनकी ओर से बहुत असंवेदनशीलता दिखाई गई. हमें यह कहते हुए बहुत दुख है कि फैसला लिखने वाले में संवेदनशीलता की पूरी तरह कमी थी.
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से सही है. कुछ फैसलों को रोकने के कारण होते हैं. एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुद सुनवाई करने का फैसला किया था. इस फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों, राजनेताओं व अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. पहले इसी केस पर दायर एक याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. इस याचिका में जजमेंट के विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था-
किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना. उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना व जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या अटेम्प्ट टु रेप का मामला नहीं बनता. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ये फैसला सुनाते हुए 2 आरोपियों पर लगी धाराएं बदल दीं. वहीं 3 आरोपियों के खिलाफ दायर क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐसा ही फैसला-
19 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक अन्य मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का फैसला पलट दिया था. कहा था कि किसी बच्चे के यौन अंगों को छूना या यौन इरादे से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कोई भी कृत्य पास्को एक्ट की धारा 7 के तहत यौन हमला माना जाएगा. इसमें महत्वपूर्ण इरादा है न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क. बॉम्बे हाईकोर्ट की एडिशनल जज पुष्पा गनेडीवाला ने जनवरी 2021 में यौन उत्पीडऩ के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि किसी नाबालिग पीडि़त के निजी अंगों को स्किन टु स्किन संपर्क के बिना टटोलना पॉक्सो में अपराध नहीं मान सकते. हालांकि बाद में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-