MP राज्य आजीविका मिशन में फर्जी दस्तावेजों पर की गई नियुक्तियां, EOW ने दर्ज किया प्रकरण

MP राज्य आजीविका मिशन में फर्जी दस्तावेजों पर की गई नियुक्तियां

प्रेषित समय :17:36:22 PM / Tue, Apr 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, भोपाल. एमपी के राज्य आजीविका मिशन में वर्ष 2015 से 2018 के बीच की गई नियुक्तियों व व्यय में व्यापक अनियमितताए व भ्रष्ट आचरण के आरोप लगाए गए. इस मामले की शिकायात राजेश कुमार मिश्रा ने की, जिसपर जांच करते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने ललित मोहन बेलवाल, विकास अवस्थी, सुषमा रानी शुक्ला के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया.

मानव संसाधन मार्गदर्शिका को अनुमोदित दर्शाने के बाद उसी आधार पर राज्य, जिला व ब्लाक स्तर के पदों पर संविदा नियुक्तियां की गई. इन नियुक्तियों के लिए जो मापदंड निर्धारित किए गए, जैसे योग्यता, अनुभव, चयन पद्धति आदि, वे मिशन कार्यालय स्तर पर ही बनाए गए. जबकि ऐसे मापदंडो को शासन से अनुमोदित करना आवश्यक होता है. कई नियुक्तियां ऐसे अभ्यर्थियों को दी गई, जिनकी योग्यता या अनुभव न तो निर्धारित मानकों के अनुरुप थी. न ही वे पद के लिए उपयुक्त थे. विशेष रुप से उन्हे यह अनुभव नहीं था. इसके बाद भी उन्हे नियुक्त करने के मात्र चार माह के भीतर अवैध तरीके से 70 हजार रुपए प्रतिमाह का मानदेय स्वीकृत किया गया. यह भी पाया गया कि अन्य कर्मचारियों को, जिनके पास अपेक्षित अनुभव था, उन्हे यह लाभ नहीं दिया.

इससे यह स्पष्ट होता है कि चयन व मानदेय निर्धारण की प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण व चहेतों को लाभ देने के उद्देश्य से की गई. जांच में यह तथ्य उभरकर सामने आया कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल द्वारा मध्यप्रदेश राज्य आजीविका मिशन की मानव संसाधन नीति को बेईमानीपूर्वक HR MANUAL के रुप प्रस्तुत किया गया. जबकि ऐसे किसी  HR MANUAL को राज्य आजीविका फोरम द्वारा अनुमादन प्राप्त नहीं था. 27.3.2015 को राज्य आजीविका फोरम की कार्यकारिणी समिति की बैठक में केवल मानव संसाधन नीति को मंजूरी दी गई थी.  HR MANUAL का कोई उल्लेख नहीं था. इसके विपरीत श्री बेलवाल द्वारा तैयार की गई नस्ती संख्या 40-01/MP SRLM/43 में नोटशीट पृष्ठ क्रमांक 5 में कूटरचित रुप से  HR MANUAL शब्द जोड़ा गया.

कई नियुक्तियां न्यूनतम योग्यता व अनुभव के बिना ही की गई, जैसे सुषमारानी शुक्ला को आवश्यक अनुभव व योग्यता के बिना राज्य परियोजना प्रबंधक (सामुदायिक संस्थागत विकास) पद पर नियुक्त किया गया. संविदा नियुक्त कर्मचारियों को 40 प्रतिशत तक मानदेय की अवैध वृद्धि  की  गई. जबकि अन्य संवर्गो में जीवन यापन लागत सूचकांक (CPI) के अनुसार ही वृद्धि हुई. स्पष्ट रुप से यह कृत्य सुषमा रानी शुक्ला व अन्य चहेतो को अवैध लाभ देने के लिए किया गया. नियुक्ति एवं वेतन निर्धारण में शासन की स्पष्ट नीतियों की अव्हेलना कर निजी हितों की पूर्ति हेतू नियुक्तियां की गई.

सुषमा रानी शुक्ला की नियुक्ति की पृष्ठभूमि-

सुषमा शुक्ला की राज्य परियोजना प्रबंधक (सामुदायिक संस्थागत विकास) के पद पर संविदा नियुक्ति वर्ष 2016 में की गई थी. यह पद राज्य आजीविका मिशन के उच्चस्तर के प्रबंधकीय पदों में आता है. जिसमें नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता व अनुभव की स्पष्ट शर्ते शासन द्वारा निर्धारित थी.

निर्धारित पात्रता-

-प्रतिष्ठित संस्थान से MBA या समकक्ष स्नातकोत्तर डिग्री
-कम से कम 15 वर्ष का प्रासंगिक प्रबंधकीय अनुभव, विशेषकर आजीविका संवर्धन, स्व-सहायता समूहों, गरीबी उन्मूलन आदि के क्षेत्र में

वास्तविक स्थिति-

-श्रीमती शुक्ला के पास वांछित अनुभव पूर्ण नहीं था
-उनके द्वारा प्रस्तुत MBA डिग्री व अनुभव प्रमाणपत्रों में गंभीर विसंगतियां पाई गई.
-चयन प्रकिया में जानबूझकर पक्षपात कर उन्हे सर्वोच्च अंक दिए गए.
-श्रीमती शुक्ला ने अपने आवेदन पत्र दिनांक 15.5.2016 में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायी राज संस्थान (NIRD) , हैदराबाद का अनुभव प्रमाण पत्र संलग्र किया गया था. इसमें उनके उत्तम प्रशिक्षण कार्य, गहन ज्ञान व योग्य प्रशिक्षक होने की प्रशंसा की गई. यह प्रमाण पत्र फर्जी था, इसे NIRD द्वारा जारी नही किया गया.
-संस्था के अधिकृत पत्रचारा (दिनांक 6.4.2022) से पुष्टि हुई कि वास्तव में जारी प्रमाण पत्र में प्रदर्शन को संतोषजनक बताया गया था.

-जांच में यह प्रमाण पत्र कूटरजिचत सिद्ध हुआ

इसके अतिरिक्त जांच में यह यह भी सामने आया कि श्रीमती शुक्ला पूर्व में आजीविका मिशन में जिला प्रबंधक (सामुदायिक संस्थागत विकास) के पद पर कार्यरत थी. उन्होने इस पद से विधिवत त्यागपत्र दिए बिना ही स्वयं को राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थागत (NIRD) हैदराबाद में प्रतिनियुक्त करा लिया. इसके लिए उन्होने मिशन कार्यालय से कार्यकुक्ति का आदेश प्राप्त किया, किन्तु संविदा नियमों के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रि या का पालन नहीं किया गया. कार्यमुक्ति आदेश को बाद में निरस्त भी किया गया, लेकिन उनका पुन: मिशन में योगदान लेने संबंधी कोई अधिकृत दस्तावेज उपलब्ध नहीं है.

इस प्रक्रिया से यह भी स्पष्ट होता है कि उन्हे निरंतर प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त रहा. अभी तक की प्रारंभिक जांच के दौरान एकत्र साक्ष्यों व दस्तावेजों के विश£ेषण से यह सिद्ध हुआ है कि ललित मोहन बेलवाल, विकास अवस्थी व सुषमा रानी शुक्ला ने मिलकर भरर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया, फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया और शासन को गुमराह कर व्यक्तिगत लाभ प्राप्त किया. उक्त के विरुद्ध भारीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 120 बी व भ्रष्टचारा निवारण अधिनियम की धारा 7 सी के अंतर्गत अपराध दर्ज किया गया. EOW में राज्य आजीविका मिशन में की गई अन्य अवैध गतिविधियों की जांच अभी भी जारी है. जिसमें और भी गड़बडिय़ों के खुलासे की संभावना है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-