MP के 4 लाख अफसर-कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले, मिलेगा प्रमोशन, सीएम बोले निकाल लिया है पदोन्नति का रास्ता, कैबिनेट में जल्द आएगा प्रस्ताव

MP के 4 लाख अफसर-कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले, मिलेगा प्रमोशन, सीएम बोले निकाल लिया है पदोन्नति का रास्ता, कैबिनेट में जल्द आएगा प्रस्ताव

प्रेषित समय :19:58:42 PM / Tue, Apr 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर


पलपल संवाददाता, भोपाल। एमपी में अधिकारियों व कर्मचारियों को सीएम मोहन यादव बड़ी सौगात देने वाले है, उन्होने कहा कि प्रदेश के चार लाख अधिकारी-कर्मचारियों को जल्द ही प्रमोशन मिलेगा। उन्होने कहा कि पदोन्नति में बनी बाधा को हटाने का रास्ता निकाल लिया है। जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। प्रदेश में करीब 8 साल से अधिक समय से कर्मचारी अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे। 

सीएम मोहन यादव ने कहा कि 8 साल से अधिक समय से कर्मचारियों, अधिकारियों की पदोन्नति का मसला उलझा हुआ है। अब सरकार ने उनके प्रमोशन करने का फैसला लिया है। अधिकारी-कर्मचारी लंबे अरसे से प्रमोशन से वंचित रहे हैं। हजारों अधिकारी कर्मचारी प्रमोशन के बिना रिटायर भी हो गए हैं। अब सरकार ने अलग-अलग स्तर पर चर्चा के बाद समस्या का समाधान निकाला है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों, डिप्टी सीएम व सभी वर्गों के साथ मिलकर प्रमोशन का रास्ता तलाशा है। धीरे-धीरे प्रमोशन के करीब आ गए हैं। जल्दी ही प्रमोशन के लिए कैबिनेट से मंजूरी देकर प्रमोशन करने का काम करेंगे। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 की पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान खत्म कर दिया था। शिवराज सरकार ने 12 मई 2016 को हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया। तभी से मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है। 
प्रतिमाह होते है 3000 कर्मचारी सेवानिवृत- 
पदोन्नति पर रोक लगे 8 साल 11 माह व 8 दिन हो गए हैं। इस अवधि में 1 लाख 50 हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर हुए हैं। इनमें से करीब 1 लाख कर्मचारियों को इसी 8 साल 11 माह में पदोन्नति मिलनी थी। गौरतलब है कि हर माह प्रदेश में लगभग 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं।
कमेटी बनने के बाद नहीं निकला हल-
2018 का चुनाव हारने के बाद 2020 में फिर से सत्ता में आई शिवराज सरकार ने पदोन्नति का हल निकालने की रणनीति बनाई थी। इसके लिए उप मंत्री परिषद समिति बनाई गई थी। जिसने सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से केस लड़ रहे अधिवक्ताओं के परामर्श से पदोन्नति के नए नियम बनाए थे। जो अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने नहीं माने। उनका कहना था कि कमेटी ने पुराने नियमों को नए कलेवर में परोस दिया।
न्यायालय के आदेश पर मिला है प्रमोशन- 
प्रदेश में पदोन्नति पर रोक के बावजूद विभिन्न विभागों के 500 से अधिक कर्मचारियों को प्रमोशन मिला है। इस रोक के खिलाफ सबसे पहले स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी धीरेंद्र चतुर्वेदी हाईकोर्ट गए थे। कोर्ट ने प्रकरण सुनने के बाद पदोन्नति के आदेश सरकार को दिए थे और चतुर्वेदी को पदोन्नति दी गई। इसके बाद अलग-अलग विभागों के कर्मचारी कोर्ट जाते रहे। कोर्ट के आदेश पर पदोन्नति दी जाती रही हैं।
इस कारण प्रमोशन पर लगी थी रोक-
साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था। ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गएए लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए। जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया। कोर्ट को तर्क दिया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। इन तर्कों के आधार पर मप्र हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा ;पदोन्नतिद्ध नियम 2002 खारिज कर दिया। सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया। तभी से प्रमोशन पर रोक लगी है।
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-