पलपल संवाददाता, भोपाल। एमपी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भोपाल ने आरटीओ के करोड़पति पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा उसके सहयोगियों शरद जायसवाल, चेतन सिंह गौर के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। इसमें मेंडोरी में इनोवा कार में मिला 52 किलो सोना व 11 करोड़ रुपए कैश सौरभ का ही बताया गया है।
ED ने चालान में 12 आरोपी तय किए हैं। जिसमें सौरभ शर्मा, उसकी मां, पत्नी दिव्या, शरद जायसवाल, चेतन सिंह गौर के अलावा इनकी फर्में व डायरेक्टर भी शामिल हैं। कोर्ट में सौरभ की मां भी मौजूद रही लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। गौरतलब है कि इन तीनों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस 60 दिन में भी चालान पेश नहीं कर सकी। जिसके कारण लोकायुक्त पुलिस के केस में तीनों को जमानत मिल चुकी है। इस मामले में काफी किरकिरी भी हुई थी। जिसके बाद ED ने आज को चालान पेश कर दिया।
प्रॉपर्टी जब्त करने के आदेश-
वकील हरीश मेहता ने बताया कि ED ने चालान में तीनों के यहां छापे के बाद पाई गई अनक्लेम्ड प्रॉपर्टी को राजसात करने के लिए कहा है। ED सौरभ शर्मा व उसके सहयोगियों चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल से पूछताछ के बाद 100.36 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर चुकी है। ED ने तीनों को केंद्रीय जेल से न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान गिरफ्तारी कर अदालत से सात दिन की रिमांड पर लिया था। इस दौरान उनसे लंबी पूछताछ चली थी।
रिश्तेदारों व सहयोगियों के नाम पर की करोड़ों रुपए की संपत्ति-
इसके बाद ED ने कहा कि पूर्व RTO आरक्षक सौरभ शर्मा द्वारा अपने व रिश्तेदारों, सहयोगियों के नाम पर करोड़ों रुपए की संपत्ति जुटाई गई है। ED ने इन सबके स्वामित्व व उनके द्वारा कंट्रोल की जाने वाली फर्मों, कंपनियों, सोसाइटी के नाम पर अर्जित 92.07 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया था। इन संपत्तियों को उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के प्रावधानों के तहत कुर्क किया था।
जब्त किया गया सोना, कैश सौरभ शर्मा का है-
गौरतलब है कि ED अपनी रिपोर्ट में बता चुकी है कि आयकर विभाग द्वारा 19 दिसंबर की रात चेतन सिंह गौर की इनोवा गाड़ी से जो 52 किलो सोना व 11 करोड़ नकदी जब्त किया था। वह सौरभ शर्मा का ही था। सौरभ के सहयोगियों, संस्थाओं में शरद जायसवाल, चेतन सिंह गौर, मेसर्स अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स अविरल एंटर प्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स यू आर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड आदि शामिल हैं।
ब्लैक मनी को व्हाइट करते थे-
ED ने लोकायुक्त पुलिस भोपाल द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के साथ 13(1) बी के तहत सौरभ शर्मा के खिलाफ दर्ज FIR के आधार पर जांच शुरू की थी। ED की जांच में पता चला कि सौरभ शर्मा ने अपने परिवार के सदस्यों] मित्रों, सहयोगियों के नाम पर व कंपनियों, फर्मों, सोसाइटी के नाम पर भी अलग-अलग चल और अचल संपत्तियां खरीदी थीं। इसमें अवैध तरीके से आपराधिक गतिविधि के माध्यम से मिली ब्लैक मनी को व्हाइट करके कई अज्ञात व्यक्तियों से अनसेफ लोन की व्यवस्था की गई थी। इससे पहले सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर व शरद जायसवाल को इस मामले में गिरफ्तार किया था और वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।