बिहार में चल रहा था RPF का फर्जी ट्रेनिंग सेंटर, ऐसे हुआ बड़े फ्रॉड का खुलासा, SI, आरक्षक की नौकरी दिलाने का दावा

बिहार में चल रहा था RPF का फर्जी ट्रेनिंग सेंटर, ऐसे हुआ बड़े फ्रॉड का खुलासा, SI, आरक्षक की नौकरी दिलाने का दावा

प्रेषित समय :17:06:21 PM / Mon, Apr 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मोतिहारी (बिहार). पुलिस ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स  के नाम पर चल रहे एक फर्जी ट्रेनिंग सेंटर का पर्दाफाश किया है. इस मामले में मुजफ्फरपुर से 200 करोड़ रुपये के संदिग्ध ट्रांजेक्शन की बात सामने आई है, जबकि गोरखपुर से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह घटना बिहार में अपराध के नए-नए तरीकों को उजागर करती है, जहां बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर ठगा जा रहा है. खुलासा मोतिहारी में फर्जी ट्रेनिंग सेंटर से हुआ है.

पिछले महीने, पूर्वी चंपारण जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि भटहां गांव में एक फर्जी रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ट्रेनिंग सेंटर संचालित हो रहा है, जो युवाओं को  में नौकरी दिलाने का दावा करता है. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छापेमारी की और सेंटर से कई आपत्तिजनक सामान बरामद किए. इनमें एक ऑटोमेटिक पिस्तौल, 14 जिंदा कारतूस, दो मैगजीन, एक लैपटॉप, एक कैमरा, आरपीएफ की वर्दी, और फर्जी प्रमाणपत्र शामिल हैं. 

छापेमारी के दौरान एक आरोपी, सन्नी कुमार, जो भटहां गांव का ही निवासी है, को गिरफ्तार किया गया. हालांकि, इस गिरोह का सरगना मौके से फरार होने में कामयाब रहा. पुलिस के मुताबिक, यह सेंटर पिछले कई महीनों से चल रहा था और सैकड़ों युवाओं से मोटी रकम वसूल की जा चुकी थी. प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह गिरोह बेरोजगार युवाओं को आरपीएफ में सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल की नौकरी का लालच देकर उनसे लाखों रुपये ऐंठता था.

इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब पुलिस ने सन्नी कुमार से पूछताछ के आधार पर मुजफ्फरपुर में एक बड़े वित्तीय लेन-देन की जानकारी हासिल की. जांच में पता चला कि इस फर्जी ट्रेनिंग सेंटर से जुड़े खातों में लगभग 200 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह रकम विभिन्न बैंकों के खातों में फैली हुई थी और इसका इस्तेमाल न केवल बिहार, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी संदिग्ध गतिविधियों के लिए किया जा रहा था. 

मुजफ्फरपुर पुलिस ने इस मामले में कई बैंक खातों को सील कर दिया है और फॉरेंसिक ऑडिट की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह भी संदेह है कि इस रकम का एक हिस्सा अवैध हथियारों की खरीद और अन्य आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ हो. पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस गिरोह का कोई अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भी है.

मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भी दबिश दी, जहां से दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इनके पास से भी फर्जी दस्तावेज और कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद हुए हैं. गोरखपुर पुलिस के सहयोग से की गई इस कार्रवाई में पता चला कि ये दोनों आरोपी फर्जी ट्रेनिंग सेंटर के लिए युवाओं को भर्ती करने और उनके दस्तावेज इक_ा करने का काम करते थे. 

पुलिस का मानना है कि यह गिरोह बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सक्रिय था और इसका नेटवर्क छोटे शहरों और कस्बों तक फैला हुआ था. गोरखपुर से गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जिनके आधार पर पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है. 

यह मामला बिहार में अपराध के बदलते तौर-तरीकों को दर्शाता है. पहले जहां डकैती, फिरौती और हत्या जैसे अपराध सुर्खियों में रहते थे, वहीं अब साइबर ठगी, फर्जी नौकरी रैकेट, और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे मामले बढ़ रहे हैं. बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे युवाओं को निशाना बनाकर ऐसे गिरोह आसानी से अपना जाल बिछा लेते हैं. 
मोतिहारी पुलिस इस मामले में फरार सरगना की तलाश में छापेमारी कर रही है. साथ ही, मुजफ्फरपुर और गोरखपुर में अन्य संदिग्धों की पहचान के लिए जांच तेज कर दी गई है. पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस रैकेट से प्रभावित हुए लोगों को सामने आकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि उन्हें न्याय मिल सके. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-