पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में नगर निगम में बजट को लेकर आयोजित बैठक में जमकर हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई है. बैठक के दौरान कई बार नगर निगम अध्यक्ष रिंकू बिज को आसंदी से उतरकर मामला शांत कराना पड़ा.
बजट की बैठक में हंगामा उस वक्त हुआ जब पश्चिम विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि अभय सिंह ने लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के कार्यों पर चर्चा शुरु की. जिसपर विपक्ष ने सवाल उठाए तो हंगामा शुरू हो गया. सत्ता पक्ष जहां शहर में किए गए विकास कार्यों का ब्यौरा दे रहा था. वहीं विपक्षी कांग्रेस पार्षदों ने अपने वार्डों की उपेक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए. कांग्रेस पार्षद दल का आरोप था कि उनके वार्डों में विकास कार्यों के लिए पार्षद मद की राशि नहीं दी जा रही है. कांग्रेस पार्षद दल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और पीडब्ल्यूडी मंत्री हजारों करोड़ रुपए शहर विकास के लिए दे रहे हैं तो बजट के दूसरे बिंदुओं में नगर सत्ता रीडेंसीफिकेशन की बात क्यों आ जाती है.
जिससे साफ है कि नगर सत्ता शहर की जमीनों को बेचकर सिर्फ 500 करोड़ रुपए के विकास कार्य करा रही है. यदि शहर विकास के लिए इतना पैसा मिल रहा है तो शहर की धरोहर बेचने की क्या जरूरत पड़ रही है, जो हमारे बुजुर्गों ने धरोहर बचा कर रखी है. यदि पूर्व के प्रतिनिधियों द्वारा शहर की धरोहरों को बेचा जाता तो निश्चित तौर पर हमारे पास कोई जमीन नहीं बचती. कांग्रेस पार्षदों ने कहा कि विवाद हमारी ओर से नहीं सत्तापक्ष की ओर से किया जाता है.
जब पार्षद मद की राशि की बात की जाती है तो तो राशि नहीं दी जाती है. भुगतान के मामले में भी कमीशनबाजी होती है. शहर विकास की बात करते हैं लेकिन लेकिन आए दिन ठेकेदार हड़ताल पर रहते हैं. जनता को 8-8 साल के बिल भेजे जा रहे हैं. डोर-टू-डोर व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. सफाई कर्मियों से लेकर ठेकेदारों का बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा है. पार्षद मद दिखावे में 90 लाख का है लेकिन डेढ़ से 2 साल तक पार्षद मद का भुगतान नहीं किया गया. पार्षद काम तो स्वीकृत करा लेते हैं लेकिन टेंडर का पता ही नहीं चलता. ऐसी है बजट की स्थिति. सिर्फ घोषणाएं की जाती है, बड़ी योजनाओं पर बात की जाती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-




