हाईकोर्ट ने कहा- महिला की न का मतलब न है, गैंगरेप दोषियों की सजा बरकरार रखने का दिया आदेश

हाईकोर्ट ने कहा- महिला की न का मतलब न है, गैंगरेप दोषियों की सजा बरकरार रखने का दिया आदेश

प्रेषित समय :17:38:53 PM / Thu, May 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी तीन लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। उच्च न्यायालय ने कहा कि एक महिला की न का मतलब न होता है और उसकी पिछली शारीरिक गतिविधियों को सहमति नहीं माना जा सकता। जस्टिस नितिन सूर्यवंशी और जस्टिस एम डब्लू चंदवानी की पीठ ने 6 मई को यह आदेश दिया.

पीठ ने कहा कि महिला की बिना सहमति के उससे शारीरिक संबंध बनाना उसके शरीर, मन और निजता का शोषण है। पीठ ने दुष्कर्म को समाज में नैतिक और शारीरिक तौर पर सबसे निंदनीय अपराध बताया। उच्च न्यायालय ने कहा कि एक महिला की न का मतलब न है और उसकी कथित अनैतिक गतिविधियों को उसकी सहमति नहीं माना जा सकता। अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के तीन दोषियों की दोषसिद्धि को खारिज करने से इनकार कर दिया, लेकिन उनकी उम्रकैद की सजा को घटाकर 20 साल कर दिया.

पीठ ने की अहम टिप्पणी

याचिकाकर्ताओं ने अपनी अपील में कहा कि पीडि़त महिला पहले उनमें से एक की पत्नी थी, लेकिन बाद में किसी अन्य व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी। नवंबर 2014 में तीनों दोषी पीडि़ता के घर पहुंचे और उसके लिव इन पार्टनर को बुरी तरह पीटा और पीडि़ता को सुनसान जगह ले जाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि बेशक महिला पूर्व में एक दोषी की पत्नी थी और बिना तलाक लिए किसी अन्य व्यक्ति के साथ लिव इन में रह रही थी, लेकिन इसके बाद भी कोई भी व्यक्ति बिना उसकी सहमति के उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकता.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-