सुप्रीम कोर्ट: रिपोर्टिंग पर रोक लगाना कोई सजा नहीं, बल्कि सावधानी के तौर पर उठाया गया कदम होता है!

सुप्रीम कोर्ट: रिपोर्टिंग पर रोक लगाना कोई सजा नहीं

प्रेषित समय :19:17:21 PM / Sat, May 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि.... न्यायपालिका और मीडिया दोनों ही लोकतंत्र के स्तंभ हैं, किसी रिपोर्टिंग पर रोक लगाना कोई सजा नहीं है, बल्कि यह सावधानी के तौर पर उठाया गया कदम होता है.
खबरों की माने तो.... सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में न्यूज एजेंसी एएनआई के खिलाफ लगी याचिका को खारिज कर दिया, अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट को कहा कि- मीडिया के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देना कोर्ट का कर्तव्य नहीं है.
उल्लेखनीय है कि.... मामला एएनआई और विकिमीडिया फाउंडेशन के मानहानि केस से संबंधित है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एएनआई के पक्ष में फैसला दिया था और विकिपीडिया से कुछ आपत्तिजनक बातें हटाने का आदेश दिया था.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि- बिना किसी ठोस कारण के ऐसी जानकारी या रिपोर्ट को विकिपीडिया से हटवाना अदालत का काम नहीं है, विशेषकर जब बात निष्पक्षता की हो, न्यायपालिका सहित किसी भी प्रणाली में सुधार के बारे में जोरदार बहस होनी चाहिए.
अदालत ने यह भी कहा कि- न्यायपालिका और मीडिया दोनों ही लोकतंत्र के स्तंभ हैं, 
अदालत खुली और सार्वजनिक संस्था होती हैं, इसलिए उन्हें लोगों की टिप्पणियों, बहसों और आलोचनाओं के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, हर आवश्यक मुद्दे पर लोगों और मीडिया को खुलकर चर्चा करनी चाहिए, चाहे वह मामला अदालत में ही क्यों न चल रहा हो.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा- मीडिया के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देना कोर्ट का कर्तव्य नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- अदालत कुछ मामलों में रिपोर्टिंग पर रोक लगा सकती हैं, लेकिन यह तभी किया जाना चाहिए जब न्याय के रास्ते में कोई बड़ी रुकावट हो, यदि कोई व्यक्ति चाहता है कि किसी खबर को रोका जाए, तो उसे यह साबित करना होगा कि उस खबर से अदालत में चल रहे मामले पर गलत असर पड़ सकता है.
ऐसे मामलों में रिपोर्टिंग पर रोक तभी लगाई जानी चाहिए जब यह साबित हो जाए कि इससे सुनवाई की निष्पक्षता को खतरा है, यही नहीं, ऐसी रोक भी केवल थोड़े समय के लिए और खास मामलों में ही लगनी चाहिए.
हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि- मीडिया को ऐसे रोक लगाने वाले आदेशों को चुनौती देने का पूरा अधिकार है.
साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि- रिपोर्टिंग पर रोक लगाना कोई सजा नहीं है, बल्कि यह सावधानी के तौर पर उठाया गया कदम होता है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-