अभिमनोज
एक महिला सरकारी कर्मचारी राज्य सरकार की ओर से मातृत्व अवकाश के लिए अपने अनुरोध को खारिज किए जाने के बाद मद्रास हाईकोर्ट पहुंची थी.
खबरों की मानें तो.... उसकी पहली शादी से दो बच्चे थे और तलाक के बाद दोनों अपने पिता की कस्टडी में थे, इसके बाद वर्ष 2018 में पुनर्विवाह होने के बाद, उसने अपने तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश मांगा, हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने महिला की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 5 में प्रसव की संख्या पर कोई सीमा नहीं रखी गई है, इसलिए मातृत्व लाभ का दावा किया जा सकता है.
इसके बाद राज्य सरकार ने इस निर्णय को अपील में चुनौती दी, जहां हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि- याचिकाकर्ता राज्य के दो बच्चों के मानदंड के मद्देनजर तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार नहीं है.
लेकिन.... सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नीतिगत रूप से महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि- मातृत्व लाभ महिला के प्रजनन अधिकारों का हिस्सा हैं और मातृत्व अवकाश उन लाभों का अभिन्न अंग है, इसके बाद अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें सरकारी शिक्षिका को यह कहते हुए तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि राज्य की नीति के अनुसार मातृत्व अवकाश लाभ दो बच्चों तक सीमित है!
Supreme Court: तीसरे बच्चे के लिए भी महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश की हकदार है!
प्रेषित समय :21:00:23 PM / Fri, May 23rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर





