*यदि भवन का पूर्व क्षेत्र कटा हो या उसमे कोई वास्तु दोष हो तो उस कटे हुए भाग पर एक बड़ा शीशा लगाएं. इससे भवन का पूर्व क्षेत्र बड़ा हुआ सा प्रतीत होता है. पूर्व की दिशा में वास्तु दोष होने पर उस दिशा में भगवान सूर्य देव की सात घोड़ों के रथ पर सवार वाली एक तस्वीर मूर्ति स्थापित करें.
*_नित्य सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को ताम्बें के बर्तन में जल में गुड़ और लाल चन्दन को डाल कर गायत्री मंत्र का सात बार जप करते हुए अर्ध्य दें. पुरूष अपने पिता और स्त्री अपने पति की सेवा करें.
*_भवन के पूर्वी भाग के ऊँचा होने से धन और स्वास्थ्य की हानि होती है अत: भवन के पूर्वी भाग को सदैव नीचा, साफ-सुथरा और खाली रखें इससे घर के लोग स्वस्थ रहेंगें, धन और वंश की वृद्धि होगी तथा समाज में मान-प्रतिष्ठा भी प्राप्त होगी .
*_पूर्व दिशा में लाल, सुनहरे और पीले रंग का प्रयोग करें. पूर्वी बगीचे में लाल गुलाब रोपें. पूर्व दिशा को बल देने के लिए बंदरों को गुड़ और भुने हुए चने खिलाएं._*
*_पूर्व दिशा के भवन में मुखिया को हर रविवार को आदित्य ह्र्दय का पाठ करना चाहिए. पूर्व दिशा के भवन में पूर्व में तुलसी का पौधा अवश्य ही लगाएं.
भवन के पूर्वी भाग को सदैव नीचा, साफ-सुथरा और खाली रखें
प्रेषित समय :20:03:40 PM / Sun, Jun 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर




