ग्रहों की गति ही सृष्टि का आधार: ज्योतिष एक शाश्वत विज्ञान, मात्र भविष्यवाणी नहीं

ग्रहों की गति ही सृष्टि का आधार: ज्योतिष एक शाश्वत विज्ञान

प्रेषित समय :19:47:53 PM / Mon, Jun 30th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अक्सर ज्योतिष को केवल भविष्य बताने वाला एक माध्यम मान लिया जाता है, लेकिन यह वास्तविकता से कोसों दूर है. ज्योतिष शास्त्र केवल भविष्यवाणी नहीं, बल्कि सृष्टि के कार्य-व्यवहार को समझने की एक गहन वैज्ञानिक दृष्टि है. यह ब्रह्मांड के उन शाश्वत नियमों को समझने का तरीका है जिनके तहत ग्रह अपनी गति से पूरी दुनिया को प्रभावित करते हैं. इन खगोलीय पिंडों की चाल से पृथ्वी पर न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक बदलाव भी होते हैं, और इनकी शक्ति हर जीव को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है. ज्योतिष हमें समय और भविष्य की दिशा दिखाने वाला एक प्राचीन मार्गदर्शक है.

ब्रह्मांड के अटल नियम और ज्योतिष की वैज्ञानिकता

हमारे शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, "जैसे वायु की दिशा में तिनका स्वतः ही बहता चला जाता है, वैसे ही मनुष्य भी ग्रहों की दिशा और प्रभाव से संचालित होता है." यह दर्शन इस सिद्धांत पर आधारित है कि संसार का प्रत्येक परमाणु एक निर्धारित नियम से बंधा है और उससे विलग नहीं हो सकता. यह मानना एक भ्रम होगा कि संसार में कोई भी घटना नियम के विरुद्ध घट सकती है. प्रत्येक तत्व, प्रत्येक गति एक निश्चित नियम के अनुसार संचालित होती है.

यदि कभी ज्योतिष के कुछ सिद्धांत अनुभव के आधार पर असंगत प्रतीत हों, तो यह दोष शास्त्र का नहीं, अपितु हमारे अधूरे ज्ञान और विश्लेषण की सीमा का है. ज्योतिष एक जीवित विज्ञान है जिसकी गहराइयों में आज भी व्यापक अनुसंधान की आवश्यकता है.

ग्रहों की गतियाँ और उनका पृथ्वी पर प्रभाव

सृष्टि के आरंभ से ही अनगिनत खगोलीय पिंड अपनी आकर्षण और विकर्षण शक्तियों से न केवल स्वयं गतिमान हैं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड को भी लगातार प्रभावित कर रहे हैं. इन ग्रहों की वक्र गति, मंद गति, अतिचार (तेज़ गति) जैसी विविध चालें केवल खगोलीय घटनाएं नहीं हैं. ये पृथ्वी पर होने वाली भौतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में परिवर्तनों की प्रत्यक्ष साक्षी हैं. उदाहरण के लिए, ज्योतिष विशेषज्ञ बताते हैं कि देवगुरु बृहस्पति की वर्तमान अतिचारी गति विश्व भर में चल रही उथल-पुथल को संचालित कर रही है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण हम सब अपने सामने देख रहे हैं. ग्रहों की यही गतियाँ और उनसे उत्पन्न होने वाले प्रभाव ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता को प्रमाणित करते हैं.

ग्रहों की प्रेरक शक्ति और मानव जीवन पर उनका नियंत्रण

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक ग्रह किसी अदृश्य ब्रह्म-शक्ति से संचालित होता है. वह शक्ति उस परमसत्ता की है, जो सम्पूर्ण सृष्टि का नियंत्रण करती है. ग्रहों की यह प्रेरक शक्ति पृथ्वी पर स्थित हर जीव, उसके कर्म और हर घटना को गहराई से प्रभावित करती है.

जब कोई व्यक्ति या समाज किसी विशेष ग्रह की दशा या चाल से प्रभावित होता है, तो वह अनजाने में ही उसी दिशा में कार्य करने को बाध्य हो जाता है, मानो कोई तिनका तीव्र वायु के प्रवाह में बहता चला जाए. इन ग्रह-जनित परिणामों को हम अक्सर 'भवितव्यता' या 'ईश्वरेच्छा' कहकर स्वीकार करने को विवश होते हैं.

इतिहास में शायद ही कोई ऐसा कालखंड रहा हो, जब मानव जाति ने ग्रह-नक्षत्रों की गति को देखकर अपने समय, कर्म और भविष्य की दिशा तय न की हो. यही कारण है कि ज्योतिष को केवल भविष्यवाणी का माध्यम नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय घटनाओं का एक अकाट्य वैज्ञानिक अध्ययन माना जाना चाहिए. यह एक ऐसा विज्ञान है जो शाश्वत सिद्धांतों पर आधारित है, और जिसे समझने तथा इसके रहस्यों को उजागर करने के लिए अभी भी बहुत अनुसंधान की आवश्यकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-